नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर सियासी उलझन का सामना कर रहे हैं। राहुल गांधी, जो लगातार तीन बार अमेठी से सांसद रहे थे, उन्हें 2019 के लोकसभा चुनावों में उस समय एक एक बड़ा झटका लगा, जब वह कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र में भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गए। ईरानी ने इस ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण सीट पर 55,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो कभी पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी के पास थी। अमेठी से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी ने कई बार जीत दर्ज की है, राहुल गांधी भी 3 बार इस सीट से सांसद रहे। इतनी हाई प्रोफाइल सीट होने के बाद भी अमेठी विकास के मामले में काफी पीछे रहा। 2019 में पीएम मोदी ने यहाँ राइफल फैक्ट्री का उद्घाटन किया था, जिससे लोगों को रोज़गार मिला, इसके अलावा उसी समय प्रधानमंत्री ने जिले में 538 करोड़ रुपये की 17 विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया था। जिसके बाद हुए चुनाव में जनता ने भाजपा की झोली में ये सीट डाल दी।
No MISSION
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) September 25, 2023
No VISION
ONLY CONFUSION, CONTRADICTION , AMBITION
After Pinarayi Vijayan ((ahead of Mumbai meeting)) attacking Congress’ secular credentials now CPI MP says Rahul Gandhi shouldn’t contest from Wayanad ! No Entry for Rahul!
Alliance Listless, Rahul ji seatless!… pic.twitter.com/dofxyT7k9K
हालांकि, राहुल गांधी अमेठी में हार का सामना करने के बाद केरल के वायनाड से जीत हासिल कर अपना राजनीतिक सम्मान बचाने में कामयाब रहे थे। कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले अमेठी में हार के बाद वायनाड ने उन्हें बहुत जरूरी समर्थन प्रदान किया। फिर भी, हालिया समाचारों से पता चलता है कि I.N.D.I. गठबंधन के घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी को वैकल्पिक निर्वाचन क्षेत्र तलाशने की सलाह दी है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने सिफारिश की है कि राहुल गांधी को वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। हाल ही में पार्टी की एक बैठक के दौरान, वामपंथी पार्टी के राज्यसभा सांसद पी. संदोष कुमार ने प्रस्ताव दिया था कि कांग्रेस को राहुल से अपने सहयोगियों (वामपंथी दलों) के बजाय सीधे भाजपा से मुकाबला करना चाहिए। यानी, ऐसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए, जिसमे उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार से हो। इस घटनाक्रम ने राहुल गांधी की भविष्य की चुनावी पसंद और वह आगामी चुनाव किस निर्वाचन क्षेत्र से लड़ने का फैसला कर सकते हैं, को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Here's the plot twist in the making of the I.N.D.I alliance:
— Satya Kumar Y (సత్యకుమార్ యాదవ్) (@satyakumar_y) September 25, 2023
- The Communist party & Congress are in an alliance.
- But CPI doesn't want Rahul to contest from the Wayanad seat, stating he shouldn't compete against his own allies.
- Instead, they've challenged @RahulGandhi ji… pic.twitter.com/796Q3XTWbl
यह बहस सोशल मीडिया तक भी पहुंच गई है, कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि राहुल गांधी को अपना अगला निर्वाचन क्षेत्र चुनने में दुविधा का सामना करना पड़ सकता है। बात दें कि, इससे पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि वायनाड में राहुल गांधी इसलिए जीते, क्योंकि वहां 'मुस्लिम लीग' है और मुस्लिम वोटों के कारण ही कांग्रेस वो सीट जीतने में कामयाब रही, जबकि जहाँ मुस्लिम नहीं थे उस अमेठी में राहुल की करारी हार हुई। इससे इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या राहुल गांधी एक बार फिर किसी मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या फिर दोबारा अमेठी से ही दावेदारी पेश करेंगे। बहरहाल, इस मामले पर अभी तक कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।