अयोध्या: भगवान राम की नगरी में आज मंगलवार को 14 कोसी परिक्रमा सख्त सुरक्षा प्रबंध के बीच विधिवत शुरुआत हो गई है। ये परिक्रमा बुधवार को प्रातः काल 8 बजे ख़त्म होगी। मंगलवार को पूरे दिन और रात को परिक्रमा जारी रहेगी। सरयू तट पर स्नान के साथ परिक्रमा जिस स्थान से आरंभ होती है, उसी स्थान पर इसका समापन भी होता है। श्रद्धालु सरयू नदी के तट पर स्नान करने के साथ परिक्रमा के लिए रवाना हो गए हैं।
पूरे परिक्रमा क्षेत्र की निगरानी ड्रोन कैमरे से की जा रही है। रामनगरी में हर साल कार्तिक मास में नवमी तिथि को चौदह कोसी परिक्रमा होती है। विख्यात ज्योतिषी आचार्य रघुनाथ शास्त्री ने बताया है कि अयोध्या में मुख्य रूप से तीन प्रकार की परिक्रमा होती है। पहली 84 कोसी, दूसरी 14 कोसी और तीसरा 5 कोसी परिक्रमा। एक कोस में तीन किमी होते हैं। अयोध्या की सीमा तीन भागों में विभाजित है। इसमें 84 कोस में अवध क्षेत्र, 14 कोस में अयोध्या नगर और 5 कोस में अयोध्या का क्षेत्र आता है, इस वजह से तीन परिक्रमा की जाती है।
उन्होंने कहा कि इनमें से 84 कोसी परिक्रमा में साधू-संत भाग लेते हैं, तो 14 कोसी और 5 कोसी परिक्रमा में आम श्रद्धालु शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म के अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भ्रमण करती है। ऐसे में जन्म जन्मांतर में कई पाप भी किए होते हैं। इन पापों को नष्ट करने के लिए यह परिक्रमा की जाती है। माना जाता है कि परिक्रमा में पग-पग पर पाप नष्ट होते हैं।
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