दारूल उलूम को नहीं है इस्लाम से खारिज करने का हक
दारूल उलूम को नहीं है इस्लाम से खारिज करने का हक
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देवबंद। देशभर में यूं तो कथित तौर पर भगवान श्री राम के नाम पर राजनीति गर्मा रही है, उत्तरप्रदेश में यह सर्वाधिक देखने को मिल रहा है लेकिन इन सभी के बीच एक बात यह आई है कि मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्री राम की आरती की थी। हालांकि इस मामले में जमकर विवाद हुआ और दारूल उलूम देवबंद ने आरती में शामिल महिलाओं के खिलाफ फतवा जारी कर दिया लेकिन अब मुस्लिम महिला फाउंडेशन ने इन महिलाओं का पक्ष लिया है और इस फतवे को सिरे से खारिज कर दिया है।

फाउंडेशन की सदर नाजनीज अंसारी का कहना है कि दारूल उलूम देवबंद का फतवा बेबुनियाद और गलत है। इस्लाम से किसी को भी खारिज करने का हकर नहीं है। यह हक अल्लाह और रसूल को है। इसके बाद किसी को इस तरह का हक नहीं है।

हालांकि काजी ए शहर मौलाना गुलाम यासीन का कहना है कि इस्लाम में बुतपरस्ती अर्थात मूर्ति अथवा चित्र का पूजन करने की अनुमति नहीं है। यदि कोई मुसलमान ऐसा करता है तो वो मुसलमान नहीं है। नाजनीन अंसारी का काम कुफ्र का है। वे इस्लाम से खारिज हैं। यह महिला केवल नाम से मुसलमान है।

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