इस वजह से रात के समय की जाती है भोलेनाथ की पूजा
इस वजह से रात के समय की जाती है भोलेनाथ की पूजा
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हर साल महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। ऐसे में इस साल यह पर्व 21 फरवरी को मनाया जाने वाला है। इस दिन भगवान शिव का पूजन होता है और रात में पूजन कर उन्हें खुश किया जाता है। वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर क्यों होती है भोलेनाथ की पूजा रात में। आइए जानते हैं।

जी दरअसल भगवान शिव तमोगुण प्रधान संहार के देवता हैं और तमोमयी रात्रि से उनका प्यार अधिक है। वहीं रात्रि संहारकाल का प्रतिनिधित्व करती है। कहा जाता है कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में रात्रिकालीन प्रकाश का स्रोत चंद्रमा भी पूर्ण रूप से क्षीण होता है। ऐसे में जीवो के अंदर तामसी प्रवृतियां कृष्ण पक्ष की रात में बढ़ जाती है और जैसे पानी आने से पहले पुल बांधा जाता है उसी प्रकार चंद्र क्षय तीज आने से पहले उन तामसी प्रवृतियों के शमन (निवारण ) हेतु भगवान आशुतोष यानी कि शंकर जी की आराधना का विधान शास्त्रकारों ने बनाया। इसी रहस्य से जुडी है भोले की पूजा। कहा जाता है संहार के पश्चात नई सृष्टि अनिवार्य है अर्थात संहार के बाद पुनः सृष्टि होती है आप देखते हैं कि फाल्गुन मास में सभी पेड़-पौधों (लगभग सभी) के पत्ते झड़ जाते हैं उसके बाद ही नहीं पत्तियां निकलती हैं।

इसी कारण सृष्टि का नया स्वरूप कहा जाता है और शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की पूजा में 6 वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए। इनमे पानी, दूध और शहद से अभिषेक और फिर बेर या बेल के पत्ते समर्पित। इसके बाद सिंदूर जो पुण्य का प्रतीक होता है। वहीं फिर दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति देता है और अंत में पान जोकि सांसारिक सुखों के साथ संतोष प्रदान करता है।

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