दिल्ली में समान शिक्षा के लिए दो अलग-अलग तरह के स्कूल क्यों ? हाई कोर्ट का सवाल
दिल्ली में समान शिक्षा के लिए दो अलग-अलग तरह के स्कूल क्यों ? हाई कोर्ट का सवाल
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नई दिल्ली: केंद्रीय विद्यालयों (KVS Admission 2022) में आगामी सत्र से पहली क्लास में एडमिशन के लिए न्यूनतम आयु 6 साल तय  करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में समान शिक्षा के लिए दो अलग-अलग प्रकार के स्कूल नहीं हो सकते, जिनमें से एक में पहली कक्षा में एडमिशन के लिए न्यूनतम आयु 6 वर्ष, जबकि दूसरी तरह के स्कूल में 5 वर्ष तय की गई है। 

बता दें कि केंद्रीय विद्यालयों में पहली कक्षा में एडमिशन के लिए न्यूनतम आयु 6 वर्ष तय करने के केंद्रीय विद्यालय संगठन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि कोर्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में दखल नहीं देना चाहती, किन्तु पहली कक्षा में एडमिशन के लिए दो अलग अलग आयु मानदंड होने से एक विषम स्थिति उत्पन्न होगी। मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी। कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय भी अन्य स्कूलों की तरह है। केंद्र सरकार यह नहीं कह सकती कि क्योंकि मैं इन स्कूलों को चला रही हूं, तो मुझे छूट है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में समान शिक्षा के लिए दो अलग-अलग प्रकार के स्कूल नहीं हो सकते। हम NCT में ऐसी विषमता नहीं देख सकते। केंद्र सरकार को इस पर विचार करने के लिए अपना दिमाग लगाना होगा।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि उसके स्कूलों में पहली कक्षा में एडमिशन के लिए उम्र का मानदंड अभी भी पांच वर्ष है और इसका केंद्रीय विद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, केंद्र सरकार के वकील अपूर्व कुरुप ने कहा कि नई आयु का मानदंड NEP के संदर्भ में था जो इस असमानता को दूर करने के लिए बनाई गई थी और उसने राज्य के अधिकारियों को इसे अपनाने के लिए पत्र लिखा था। वकील ने कहा कि केंद्र सरकार, सभी को छह साल से अधिक उम्र सीमा में लाने का प्रयास कर रही है और 21 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पहले से ही इसका पालन कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि दिल्ली सरकार ने NEP को नहीं अपनाया है, माता-पिता और बच्चों को क्यों भुगतना चाहिए।

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