जम्मू : जम्मू-कश्मीर के उधमपुर से पकड़े गए आतंकी नावेद को लेकर यह बात सामने आई है कि उसे फास्ट ट्रैक कोर्ट में नहीं ले जाया जा सका है। दरअसल सरकारी वकील इस केस के लिए सप्ताह में तीन दिन किए जाने और केवल 1500 रूपए मिलने से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में उन्होंने मामले से अलग होने का निर्णय लिया है। दरअसल कश्मीर के उधमपुर में बीएसएफ ने मोहम्मद नावेद नामक आतंकी को पकड़ लिया था।
इस कार्रवाई में दो जवान शहीद हो गए थे। मगर गांव की ओर भाग गए आतंकी नावेद को बाद में पकड़ लिया गया। उस पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चलना था और सरकारी वकील के तौर पर सतिंदर गुप्ता का नाम तय किया गया था। इस मामले में एनआईए ने चार्जशीट फाइनल कर सतिंदर गुप्ता को नावेद का वकील नियुक्त कर दिया। हालांकि सतिंदर गुप्ता को जो राशि मिलने का प्रावधान था उसे उन्होंने कम माना है और कहा है कि प्रति माह चार से पांच दिन केस को यदि वे देंगे तो फिर तैयारी के लिए भी उन्हें चार से पांच दिन लग जाऐंगे। ऐसे में उनके 10 दिन तो ऐसे ही चले जाऐंगे।
उन्होंने कहा था कि वे केस से अलग होना चाहते हैं। हालांकि एनआईए ने बाद में उनकी फीस बढ़ाने और इसके लिए जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव से चर्चा करने की बात कही है। एनआईए भी अपनी ओर से पैसा देने के लिए तैयार हो गया। हालांकि सरकारी वकील को पैसे तो राज्य सरकार को ही देना होता है। मगर फिर भी एनआईए द्वारा फीस दिए जाने के प्रस्ताव के बाद इस मामले में कुछ उम्मीद जरूर जगी है।