मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने विगत बुधवार को तमाम विभागों और इकाइयों को भंग कर दिया था। NCP के राष्ट्रीय महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने विभागों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग करने का ऐलान किया था। यह फैसला पार्टी प्रमुख शरद पवार द्वारा गत माह पार्टी नेताओं की एक अहम बैठक बुलाए जाने के कुछ दिनों बाद लिया गया है। इसके बाद से महाराष्ट्र में सियासी गलियारों में इस बात को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं कि शरद पवार ने यह फैसला किस वजह से लिया। इन अटकलों में सबसे मुख्य है कि शिवसेना के बाद NCP पर भी विभाजन का खतरा मंडरा रहा है।
बता दें कि एकनाथ शिंदे के विद्रोह ने शुरू में शिवसेना विधायक दल में दो फाड़ कर दी थी, जिसने उद्धव ठाकरे सरकार को गिरा दिया। इसके तत्काल बाद ही पार्टी के सांसद भी एकनाथ गुट में शामिल हो गए। लेकिन इसके बाद भी शिंदे के लिए, विधायिका या संसद में विभाजन शिवसेना को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं था। कानून के मुताबिक, विभाजन पार्टी की स्थापना के अंदर होना चाहिए। शिंदे गुट को अब पदाधिकारियों का समर्थन प्राप्त हो रहा है।
महाराष्ट्र के नए CM को पार्टी के फ्रंटल संगठनों से मिल रहे समर्थन का मतलब यह होगा कि पार्टी का एक बड़ा तबका उनकी टीम में शामिल हो रहा है। NCP, जिस पर विद्रोह का इल्जाम लगाया जा रहा है, लगता है उसने शिवसेना में बगावत से एक सबक लिया है। पार्टी को मजबूत करने के लिए नियमित प्रक्रिया के तौर पर पार्टी के विभागों और इकाइयों को भंग करना औपचारिक रूप से जायज ठहराया जा रहा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि शरद पवार ने इसी प्रकार के तख्तापलट से पहले ही यह कदम उठाया है। अगर पवार के बिना पार्टी को विभाजित करने की कोशिश की जाती है, जैसे ठाकरे के बिना शिवसेना की वर्तमान स्थिति, तो संगठनात्मक संरचना पवार के साथ सशक्त होनी चाहिए।
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