लोकसभा चुनाव से पहले आखिर क्यों केंद्र सरकार ला रही है श्वेत पत्र?
लोकसभा चुनाव से पहले आखिर क्यों केंद्र सरकार ला रही है श्वेत पत्र?
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले संसद में बजट सत्र चल रहा है। आम चुनाव से पहले यह संसद का अंतिम सत्र है। सरकार की ओर से संसद के सत्र की अवधि को बढ़ा दिया है। कहा जा रहा है कि इसके पीछे कारण सरकार की ओर से लाया जाने वाला श्वेत पत्र है। सरकार की ओर से यह श्वेत पत्र अर्थव्यवस्था पर होगा। इस श्वेत पत्र में मोदी सरकार के केंद्र की सत्ता में आने से मतलब 2014 से पहले एवं उसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की तुलना की जाएगी। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर ये श्वेत पत्र क्या होता है। इसे क्यों लाया जाता है। 

श्वेत पत्र लाने के पीछे कारण क्या है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सबसे पहले अपने बजट भाषण में एक श्वेत पत्र लाने का आह्वान किया था। उस वक़्त उन्होंने बोला था कि जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब भारत 2014 में 'संकट' में था। तत्पश्चात, अर्थव्यवस्था को सतत विकास पथ पर लाने के लिए 'उन वर्षों के संकट' पर नियंत्रण पाया। वित्त मंत्री ने पिछली कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के 'कुप्रबंधन' को जिम्मेदार ठहराते हुए 1 फरवरी को कहा था कि सरकार सदन के पटल पर एक 'श्वेत पत्र' रखेगी। इस सिलसिले में संसदीय वित्त समिति के अध्यक्ष एवं बीजेपी के जयंत सिन्हा ने कहा कि श्वेत पत्र उस समय देश की "खराब आर्थिक स्थिति" को उजागर करेगा। यह दर्शाएगा कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था में कैसे सुधार किया।

श्वेत पत्र क्या होता है?
'श्वेत पत्र' एक सूचनात्मक रिपोर्ट है। यह सरकार की नीतियों, कामयाबियों एवं मुद्दों पर प्रकाश डालती है। स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल के मुताबिक, सरकारी कागजात वितरण के लिए रंग-कोडित होते हैं। सार्वजनिक पहुंच के लिए सफेद रंग को नामित किया जाता है। सरकारें आमतौर पर मुद्दों पर चर्चा करने, कार्रवाई का सुझाव देने या निष्कर्ष निकालने के लिए किसी खास विषय पर एक श्वेत पत्र लाती हैं।

सरकार ने क्यों चुना यह वक़्त?
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार विपक्ष को कोई अवसर नहीं देना चाहती है। केंद्र इस बजट सत्र में एक श्वेत पत्र ला रहा है जिससे यह स्पष्ट किया जा सके कि मोदी सरकार कैसे परिवर्तन लेकर आई। भाजपा नीत NDA सरकार ने अक्सर कांग्रेस पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया है। अर्थव्यवस्था एवं 'श्वेत पत्र' उन्हें अगले दो महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष पर हमला करने का अवसर देंगे। इससे पहले केंद्र सरकार के मंत्री निरंतर दावा करते रहे हैं कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 2014 में अर्थव्यवस्था को 'संकट' के हालात में छोड़ दिया था। इस श्वेत पत्र के माध्यम से वे अपनी बात को न्यायसंगत ठहराएंगे। भाजपा नेता जयंत सिन्हा ने दावा किया कि भारत 2013 में 'नाजुक पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक था।

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