नोटबंदी पर चिदंबरम और प्रशांत भूषण की तमाम दलीलें फेल, अलग रहा जस्टिस नागरत्ना का फैसला
नोटबंदी पर चिदंबरम और प्रशांत भूषण की तमाम दलीलें फेल, अलग रहा जस्टिस नागरत्ना का फैसला
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार द्वारा 2016 में की गई नोटबंदी पर फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने नोटबंदी करने के मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि, मोदी सरकार का नोटबंदी करने का फैसला बिलकुल सही था और इसे लागू करने में पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया था। इसके साथ ही अदालत ने नोटबंदी को गलत बताकर चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं ख़ारिज कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी के फैसले को लेकर केंद्र सरकार और RBI के बीच 6 महीनों तक विचार-विमर्श हुआ था। हालाँकि, 5 जजों में से एक जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग रही है। इस बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल हैं। 

इस पूरे मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और हाल ही में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए प्रशांत भूषण ने कोर्ट में नोटबंदी को मोदी सरकार का गलत फैसला साबित करने की पूरी कोशिश की। मगर केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटमणि ने कोर्ट के सामने जो तथ्य रखे, उसके आगे चिदंबरम और प्रशांत भूषण की दलीलें फेल हो गईं। 5 जजों की बेंच ने माना कि, सरकार ने RBI के साथ काफी सलाह मशवरा करने के बाद नोटबंदी का फैसला लिया और पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया। हालाँकि, जस्टिस बीवी नागरत्ना का फैसला बाकी के 4 जजों से अलग रहा। 

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी पर क्या कहा :-

जस्टिस नागरत्ना ने बाकी जजों के फैसले पर असहमति जाहिर करते हुए RBI की धारा 26(2) का जिक्र करते हुए कहा कि इसके प्रस्ताव में पहले ही कई विरोधाभास हैं। उन्होंने कहा कि, 'RBI की ओर से दाखिल रिकॉर्ड्स को देखते हुए यह ध्यान देने वाली बात है कि नोटबंदी की सिफारिश केंद्र सरकार की ओर से की गई थी। यह दिखाता है कि RBI ने इस पर स्वतंत्र दिमाग नहीं लगाया है।' उन्होंने कहा कि यदि नोटबंदी का प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से है, तो यह RBI की धारा 26(2) के अंतर्गत नहीं आता है। 

जस्टिस नागरत्ना का कहना है कि इसे कानून के माध्यम से लाया जाना चाहिए था और यदि गोपनीयता की आवश्यकता है, तो इसे अध्यादेश के जरिए लाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि धारा 26(2) के मुताबिक, नोटबंदी का प्रस्ताव RBI के केंद्रीय बोर्ड से आना चाहिए था। जस्टिस नागरत्ना ने नोटबंदी में केंद्र सरकार की भूमिका को गंभीर मुद्दा बताया है। उन्होंने कहा कि, 'बैंक की तुलना में केंद्र सरकार के आदेश पर नोटबंदी करना बेहद गंभीर मुद्दा है, जो नागरिकों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए मेरे विचार में केंद्र की व्यापक शक्तियों को देखते हुए ऐसा कानून के माध्यम से किया जाना चाहिए था।' हालांकि, अदालत ने न्यायमूर्तियों के बहुमत के आधार पर अपना फैसला लिया। अदालत ने कहा कि RBI के पास स्वतंत्र रूप से इतनी शक्ति नहीं है कि वो नोटबंदी लागू कर दे। ये फैसला सरकार और RBI के आपसी सलाह-मशवरे के बाद लिया गया है।

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