क्या है मुस्लिम वर्ल्ड लीग ? जिसके महासचिव शेख डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा आए भारत
क्या है मुस्लिम वर्ल्ड लीग ? जिसके महासचिव शेख डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा आए भारत
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अबुधाबी: मुस्लिम वर्ल्ड लीग (Muslim World League) एक आंतरराष्ट्रीय मुस्लिम संगठन है जो विभिन्न मुस्लिम देशों के बीच सम्बंधों को संवारने का कार्य करती है। यह इस्लामिक विद्वानों, उद्योगपतियों, राजनैतिक नेताओं, फैसलेवादियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक गठबंधन के रूप में बनाई गई है। मुस्लिम वर्ल्ड लीग की स्थापना 1962 में हुई और इसका मुख्यालय मक्का, सऊदी अरब में स्थित है।

मुस्लिम वर्ल्ड लीग का मुख्य उद्देश्य इस्लामिक सभ्यता, संस्कृति और धर्म की संरक्षा और प्रचार करना है। यह विभिन्न मुस्लिम समुदायों के बीच एकता, सहयोग और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इसका एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य है इस्लामिक शिक्षा, संस्कृति, भाषा और अन्य संबंधित विषयों को बढ़ावा देना और मुस्लिमों की शिक्षा में सुधार करना। शेख डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव (Secretary-General) हैं। उन्होंने इस पद की कार्यालयिक क्षमता, गतिविधियों और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के प्रमुख दस्तावेजों के प्रकाशन पर विशेष ध्यान दिया है। प्रमुखाध्यापक के रूप में शेख मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा का संक्षिप्त लक्ष्य यह है कि वह मुस्लिम दुनिया में उच्च शिक्षा और विज्ञान को आगे बढ़ाएं।

यही अल ईसा इस समय भारत दौरे पर आए हैं। भारत दौरे पर उन्होंने कहा कि, 'मैं भारतीय लोकतंत्र को तह-ए-दिल से सलाम करता हूँ। मैं भारत के संविधान को सलाम करता हूँ। मैं विश्व को सद्भावना सिखाने वाले भारतीय दर्शन और परंपरा को भी नमन करता हूँ।' उन्होंने कहा कि, मैंने भारत में जो मैंने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व देखा, वह भी अपने आप में अद्वितीय और अद्भुत है। Harmony of Dialogue among Religions को संबोधित करते हुए अल-ईसा ने कहा कि, 'जब भी संवाद की कमी होती है, तो दो लोगों के बीच में गलतफहमी और समस्या पैदा हो जाती है। इसलिए संवाद का पुल बनाना जरूरी है। सांस्कृतिक टकराव (Clash of Civilisation) को रोकने के लिए हमें अगली पीढ़ी का बचपन से ही मार्गदर्शन देना होगा और उन्हें इससे बचाना होगा।' आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुए दुनिया के प्रमुख मुस्लिम नेताओं में से एक ने कहा कि, 'गलतफहमी, घृणा और गलत अवधारणाओं ने कट्टरपंथ फैलाकर आतंकवाद बढ़ाने में मदद दी है। अपनी ताकत को बढ़ाने वाले काफी सारे नेता हेट नैरेटिव का इस्तेमाल करते हैं और अपनी प्रासंगिकता एवं नियंत्रण सुनिश्चित करते हैं।' अल-ईसा ने कहा कि कुछ ही संस्थाएँ इस प्रकार की गलत विचार परोसते हैं।

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