क्या आपने सुनी सिख धर्म की दस शिक्षाएं
क्या आपने सुनी सिख धर्म की दस शिक्षाएं
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आप सभी को बता दें कि सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव को कहते हैं और गुरुनानक देव सिक्खों के पहले गुरु थे. कहा जाता है इनके बाद सभी दस गुरुओं के उपदेश को संग्रह कर एक आचार संहिता बनाई गई है और जिसे दस शिक्षाएं के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ कहते हैं कि इनका पालन प्रत्येक सिख परिवार में किया जाता है और सिख धर्म में सभी गुरुओं ने समय-समय पर शिक्षा और उपदेश दिए हैं. ऐसे में इन्हीं उपदेशों को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध कमिटी द्वारा संकलित की गई है. तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं सिख धर्म के वो दस शिक्षाएं. कहा जाता है हर सिख पुरुष-स्त्री को दस गुरु साहिबान, गुरुग्रंथ साहिब और दस गुरु की वाणी और शिक्षा में श्रद्धा रखनी चाहिए.

कहते है सभी को सिख अमृतवेला में वाहे गुरु नाम का जाप कर वाणियां पढ़नी चाहिए. कहते हैं गुरुवाणी का प्रभाव सिख संगति में अधिक होता है इस कारण से गुरुद्वारे में संगति में बैठकर गुरुवाणी का लाभ लेना चाहिए. कहा जाता है गुरुद्वारे में आरती करना और घंटे बजाना वर्जित है और इसके अलावा मूर्ति पूजा भी वर्जित है. कहा जाता है गुरुद्वारे में जब गुरुग्रंथ साहिब की सवारी आए तो प्रत्येक सिख को सम्मान में खड़े हो जाना चाहिए और गुरुद्वारे में किसी भी धर्म-मजहब के लोगों को जाना वर्जित नहीं है. कहा जाता है संगत में साथ बैठे किसी भी व्यक्ति के प्रति ऊंच-नीच, जात-पात और छुआछूत का भेदभाव नहीं रखना चाहिए. इसी के साथ संगत में नंगे सिर नहीं बैठना चाहिए. कहते हैं स्त्रियों के लिए पर्दा या घूंघट निकालना गुरु मत के विरुद्ध है और गुरुनानक देव ने एक ॐकार का नारा दिया. जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है. यह हमारे बीच के मतभेदों को मिटाकर हमें मिलकर रहना सिखाता है. सभी प्रकार के लोभ को त्यागकार हमें अपने हाथों से मेहनत और न्यायोचित तरीके से धन कमाना चाहिए. इसी के साथ कहते हैं किसी का हक नहीं छीनना चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करें. याद रखे कि धन को जेब तक ही सीमित रखें, उसे दिल में जगह नहीं दें और अन्यथा नुकसान हो सकता है. इसी के साथ स्त्री का आदर करना चाहिए और स्त्री का दर्जा पुरुष के बराबर है.

कहा जाता है तनावमुक्त रखते हुए काम करना चाहिए और प्रसन्नता फैलाना चाहिए और दुनिया को जीतने से पहले अपने बुराइयों पर जीत हासिल करना चाहिए. इसी के साथ अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है इसे अपने आप से दूर रखना चाहिए और सिख धर्म के अनुसार जो विनम्र रहकर सेवा में अपना जीवन गुजारता है, वह हमेशा खुश रहता है. कहते हैं लोगों को प्रेम, समानता और भाईचारे के संदेश देना चाहिए.

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