वीआईपी कल्चर से आम जन सुरक्षा प्रभावित
वीआईपी कल्चर से आम जन सुरक्षा प्रभावित
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नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के तहत वीआईपी कल्चर को समाप्त करने का प्रयास किया गया। जिसके तहत वीआईपी पर्सन्स के वाहनों से लाल, पीली व नीली बत्तियों को हटाया गया लेकिन अब यह बात सामने आ रही है कि, वीआईपी पर्सन्स को मिलने वाली सुरक्षा में किसी तरह की कमी नहीं हुई है। हालात ये हैं कि, जरूरत न होने पर भी वीआईपी पर्सन्स को सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाती है।

हालांकि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को सुरक्षा उपलब्ध करवाया जाना बेहद आवश्यक होता है लेकिन कई बार ऐसे विभिन्न राज्यों में पुलिस विभाग द्वारा आवश्यकता से अधिक सुरक्षाकर्मी ऐसे समय में वीआईपी की सुरक्षा में लगा दिए जाते हैं जब, सुरक्षा की अधिक आवश्यकता नहीं रहती है। मीडिया में जानकारी सामने आई है कि आम आदमी को सुरक्षा उपलब्ध करवाने के दावे तो कई किए जाते हैं लेकिन ,हकीकत में करीब 663 व्यक्तियों पर एक ही पुलिसकर्मी की तैनाती कर दी जाती है।

जबकि एक वीआईपी की सुरक्षा में पुलिस विभाग के लगभग 3 जवान तैनात कर दिए जाते हैं। इस मामले में गृह मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट के आंकड़ों के अनुसार 20,000 वीआईपी लोगों पर औसत तीन पुलिसकर्मी तैनात हैं, शेष आम आदमी की हिफाजत के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। स्थिति यह है कि प्रति 663 व्यक्ति पर केवल एक पुलिसकर्मी ही तैनात हैं।

इसका कारण बताया गया है कि, पुलिस विभाग में कर्मचारियों की तादाद बेहद कम है। विभिन्न राज्यों में वीआईपी को अलग - अलग स्तर की सुरक्षा उपलब्ध होती है, हालांकि लक्ष्यद्वीप एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहाॅं वीआईपी को सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाई जाती है।

पुलिस विभाग में विभिन्न पदों पर कमी महत्वपूर्ण अवसरों पर खलती है। कई बार विभिन्न राज्यों में धार्मिक आयोजन होते हैं और ऐसे में लोगों का दबाव सड़कों, प्रमुख स्थलों और धर्म स्थलों में बढ़ जाता है, लोगों का दबाव बढ़ जाने पर पुलिस फोर्स की तैनाती की जाती है लेकिन जो जन सैलाब उमड़ता है उसकी तुलना में पुलिस और सुरक्षा बल बेहद कम नज़र आता है।

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