नई दिल्ली: इन दिनों नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर पूरे देश में आग लगी हुई है। कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसका विरोध। हालांकि, देश के हर कानून पर अपनी राय या प्रतिक्रिया देना हर भारतीय का अधिकार है और गलत लगने पर उसके बारे में सवाल करना या उसका विरोध करना भी, लेकिन वो तरीका लोकतांत्रिक होना चाहिए।
किन्तु हाल के दिनों में जिस तरह के विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, बीते कुछ दिनों से दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (JMIU), अलीगढ़ की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक उग्र प्रदर्शन की बातें सामने आ रही है। वहीं असम के लोग 1985 के असम समझौते को लेकर विरोध कर रहे हैं, जबकि गृह मंत्री इस बात को कह चुके हैं कि CAA पूर्वोत्तर के राज्यों पर लागू नहीं होगा।
वहीं, JMUI और AMU में जो प्रदर्शन हो रहे हैं, उनमे हिंसा भी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस पर पथराव की बात भी सामने आई है, साथ ही कई बसों को फूंक दिया गया है, जिससे हज़ारों करोड़ का नुकसान भी हुआ है। पश्चिम बंगाल में भी कई जगहों पर ट्रेन की पटरियां उखाड़ दी गईं हैं और बसों में आग लगा दी गई है। यह प्रदर्शन अगर सही बात के लिए भी किया जा रहा हो, तो भी कई लोग इस तरीके को गलत ठहरा रहे हैं। अब देखना ये है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।
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