सोशल मीडिया पर ट्रोल होने के बाद बोली विनेश फोगट- 'हम खिलाड़ी है रोबोट नहीं'
सोशल मीडिया पर ट्रोल होने के बाद बोली विनेश फोगट- 'हम खिलाड़ी है रोबोट नहीं'
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विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने के उपरांत सोशल मीडिया पर हुई निंदा को निराशाजनक करार देते हुए  इंडियन पहलवान विनेश फोगाट ने बोला है कि 'खिलाड़ी रोबोट नहीं होते है'। विनेश ने इसके साथ ही साथी खिलाड़ियों से मेहनत जारी रखने को बोला है ताकि इस तरह की आलोचना की संस्कृति को समाप्त कर चुके है। 

विनेश ने बेलग्रेड में पिछले सप्ताह 53 किग्रा भार वर्ग में ब्रॉन्ज़ मेडल जीत लिया है। उन्होंने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 2 मेडल जीतकर इतिहास रच चुके है। वह ऐसा करने वाली देश की पहली महिला पहलवान है। वह क्वालीफिकेशन दौर में मंगोलिया की खुलान बटखुयाग से जिस तरह से 0-7 की हारी उसकी सोशल मीडिया पर काफी निंदा हुई। उन्होंने हालांकि शानदार वापसी करते हुए रेपेचेज में दो दौर के बाद कांस्य पदक मुकाबले को बिना अंक गंवाए अपने नाम किया। यह 28 साल की खिलाड़ी हालांकि सोशल मीडिया पर हुई आलोचना से बहुत आहत है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट में लिख दिया है ‘खिलाड़ी भी इंसान होते है। खिलाड़ी होने का यह मतलब नहीं कि हम किसी भी टूर्नामेंट में रोबोट की तरह काम करने में लगे हुए है। मुझे यह नहीं पता कि यह संस्कृति सिर्फ इंडिया में ही है या और स्थान भी है। जहां लोग घर में बैठकर ही विशेषज्ञ बन जाते है।’ उन्होंने लिखा, ‘व्यक्ति पेशेवर हो या नहीं उसने अपने सफर में कई कठिनाइयों, संघर्षों और चुनौतियों का सामना किया होता है। वे टिप्पणी नहीं करते, आलोचना करते है। वह आलोचना करते समय खुद को पेशेवर करियर के विशेषज्ञ समझने लगते है।’ 

विनेश ने एथलीटों की लगातार आलोचना पर प्रश्न उठाते हुए बोला है कि ‘हम एथलीट के रूप में हर चीज के लिए जवाबदेह क्यों हैं। एथलीटों को समर्थन और प्रोत्साहन के बजाय उसके प्रशिक्षण को लेकर टिप्पणियों का सामना क्यों करना पड़ता है।’ उन्होंने बोला है कि ‘यह बहुत हतोत्साहित करने वाला होता है जब लोग यह मान लेते हैं कि वे इस पर टिप्पणी कर सकते हैं कि एथलीटों को अपना करियर कब  समाप्त करना चाहिए, कब खेलना चाहिए और कब नहीं खेलना चाहिए।’ उन्होंने लिखा, ‘‘ एक जीत का मतलब हमेशा यह नहीं होता है कि एक एथलीट ने कुछ अतिरिक्त असाधारण किया है और हार का मतलब यह नहीं है कि एथलीट ने उस खेल के दौरान कोशिश नहीं की है। जीत और हार हर एथलीट की यात्रा का एक हिस्सा है और एथलीट हर बार कड़ी मेहनत करते हैं।’ 

विनेश ने इस बारें में बोला है कि आलोचकों को खिलाड़ियों के प्रयासों और संसाधनों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। उन्होंने बोला है कि, ‘इन चीजों पर टिप्पणी करना बहुत आसान है क्योंकि उनके लिए यह मैच देखने जीवन के सिर्फ एक दिन के बारे है।  उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि उस वक़्त खिलाड़ी की मानसिक स्थिति, खासकर मुश्किल वक़्त में कैसी है।’ उन्होंने बोला है कि ‘सोशल मीडिया  प्रशंसकों और समर्थकों से जुड़ने का शानदार मंच रहा है लेकिन अब  इसका इस्तेमाल नकारात्मक आलोचनाओं को फैलाने के लिए हो रहा है।’ 

विनेश ने साथी इंडियन एथलीटों को सपने देखते रहने और कड़ी मेहनत करने के लिए कहा और उम्मीद जताई कि अनावश्यक आलोचना समाप्त हो सकती है।  उन्होंने लिखा, ‘यहां मेरे सभी साथी एथलीटों के लिए है, जो एक कठिन यात्रा के माध्यम से खुद को बार-बार साबित करते है और लोगों से डरे बिना अपने सपने के प्रति हौसला दिखाने का साहस रखते हैं’। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए बोला है कि, ‘मेरे प्रिय एथलीटों, हम सब एक ही जगह पर हैं और हमारी यात्रा एक जैसी है। उम्मीद है हम अपने निरंतर प्रयासों, साहस और समर्पण के साथ किसी दिन इस संस्कृति को बदलने की कोशिश करने वाले है।’ 

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