आज है वरद चतुर्थी, जरूर पढ़े यह व्रत कथा
आज है वरद चतुर्थी, जरूर पढ़े यह व्रत कथा
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आप सभी को बता दें कि एकादशी और त्रयोदशी की तरह हर महीने में दो बार चतुर्थी तिथि भी आती है। ऐसे में इस बार यह चतुर्थी आज यानी 6 जनवरी को है। यह तिथि प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान को समर्पित होती है। आज पौष के महीने की विनायक चतुर्थी है जिसे वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस चतुर्थी की कथा।

चतुर्थी की कथा- कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। समय व्यतीत करने के लिए पार्वती माता ने भगवान शिव से चौपड़ खेलने के लिए कहा। तभी माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि खेल तो हम खेलेंगे लेकिन हार-जीत का फैसला कौन करेगा? तो भगवान शिव ने कुछ तिनके एकत्रित कर उसका एक पुतला बनाया और उस पुतले से कहा कि हम चौपड़ खेल रहे हैं, तुम यहां पर बैठकर हमारी हार-जीत का फैसला करना। उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती चौपड़ खेलने लगे। ये खेल तीन बार खेला गया और तीनों ही बार माता पार्वती जीत गईं। खेल समाप्त हो गया, उसके बाद बालक से कहा गया कि बताएं कि कौन हारा है और कौन जीता है।

उस बालक ने महादेव को विजयी घोषित कर दिया। बालक की यह बात सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को लंगड़ा होकर कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। ये सुनकर बालक माता पार्वती से क्षमा मांगने लगा। तब माता पार्वती ने उस बालक से कहा कि यहां पर गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे। ये कहकर माता पार्वती भगवान शिव जी के साथ कैलाश पर्वत पर लौट गईं। एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्याएं आईं, तब नागकन्याओं ने उस बालक को गणेश जी के चतुर्थी व्रत की विधि बताई। इसके बाद उस बालक ने विधिपूर्वक गणेशजी का व्रत किया।

बालक की भक्ति को देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हो गए और उन्होंने बालक से कहा कि वो उनसे कोई वरदान मांगे। उस बालक ने भगवान गणेश से कहा कि मुझे इतनी शक्ति दे दीजिए कि मैं अपने पैरों पर चल कर अपने माता-पिता के पास कैलाश पर्वत पहुंच सकूं। गणपति ने उसे ये वरदान दे दिया और तब से चतुर्थी व्रत को सभी की मनोकामना पूरा करने वाला व्रत कहा जाने लगा।

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