देहरादून: हाल ही में सीमांत जनपद उत्तरकाशी में नशे का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है. वहीं मदिरा और चरस के साथ ही अब यहां अफीम और स्मैक जैसा महंगा नशा भी तेजी से पैर पसार रहा है. जंहा हैरत की बात तो यह है कि पोश्त से बनाई जाने वाली अफीम जिले में ही तैयार हो रही है. धंधे में लिप्त लोगों के लिए वन विभाग की बंजर जमीन दुधारू गाय साबित हो चुकी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि जिले के मोरी ब्लाक के दूरस्थ गांवों में वन विभाग की बंजर जमीन पर आज भी पोश्त की खेती हो रही है. इस धंधे में शामिल लोग पोश्त के बीज जंगल में डाल देते हैं. फसल पकने पर इससे अफीम तैयार की जाती है. नारकोटिक्स विभाग के अभियान चलाने के बावजूद इस खेती पर रोक नहीं लग सकी है. पिछले वर्ष ही विभाग क्षेत्र में पोश्त की खेती को नष्ट कर मामले में करीब 50 लोगों के खिलाफ मुद्दा दर्ज किया जा चुका है.
नशे की गिरफ्त में आए लोगों का होगा सर्वे: वहीं यदि हम बात करें सूत्रों कि तो जाँच में पता चला कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सिविल जज सीनियर डिवीजन दुर्गा शर्मा ने कहा कि नशा उन्मूलन के लिए प्राधिकरण की ओर से नशामुक्त देवभूमि अभियान चलाया जा रहा है. जंहा जल्द ही जनपद में नशे की गिरफ्त में आए लोगों का सर्वे कराया जाएगा. जंहा फिलहाल जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को नशे से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है. नशे के आदी लोगों के इलाज और मदद के लिए नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं. इस अभियान में समाज को साथ देने की आवश्यकता है.
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