संसदीय सचिव की नियुक्ति पर रोक क्यों?
संसदीय सचिव की नियुक्ति पर रोक क्यों?
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नई दिल्ली : दिल्ली के 21 विधायकों की सदस्यता के मसले पर केंद्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और आशुतोष ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि पंजाब और गुजरात के संसदीय सचिव को मिलने वाली सुविधाऐं गिनाई। आशुतोष ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब में संसदीय सचिव को 20 हजार रूपए प्रति माह का वेतन दिया गया है। इस दौरान करीब 5 हजार रूपए का मुआवजा मिलता है। उन्हें 5 हजार रूपए आॅफिस अलाउंस मिलता है।

50 हजार रूपए हाउस रेंट, 10 हजार रूपए टेलिफोन भत्ता, 2 लाख रूपए प्रतिवर्ष यात्रा भत्ता भी मिलता है। यही नहीं 12 रूपए प्रति किलोमीटर के अनुसार उन्हें माइलेज भत्ता भी दिया जाता है। गुजरात के संसदीय सचिव को दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर आशुतोष द्वारा कहा गया कि संसदीय सचिव को 50 हजार रूपए का वेतन, एक कार, आवासीय मकान, जिप्सी, दफ्तर, निजी सचिव आदि बातें दी जाती हैं।

उनका कहना था कि दिल्ली सरकार के बिल में यह लिखा गया है कि संसदीय सचिव को किसी तरह का पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है और किसी तरह की सुविधा भी नहीं दी जाएगी। उन्हें षडयंत्र के अंतर्गत बदनाम करने का प्रयास किया गया है। आम आदमी पार्टी के आशुतोष ने कहा कि 1 सितंबर वर्ष 2006 में सांसदों की सदस्यता समाप्त होने वाली थी। संसद में रिट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से विभिन्न पदों को दफ्तर आॅफ प्राॅफिट के दायरे से बाहर कर दिया गया।

भारतीय जनता पार्टी द्वारा कहा गया है कि इस दौरान वे 4 लाख रूपए का वेतन लेते हैं। आम आदमी पार्टी के विधायक द्वारा बिल पास नहीं किया गया तो फिर वे वेतन कैसे ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार काम करना चाहती है तो उसे काम करने दिया जाए। दोनों सरकारें अपना-अपना कार्य करे।

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