कश्मीर समस्या का जिम्मेदार कौन, महाराज हरि सिंह या नेहरू ? देखें ये रिपोर्ट
कश्मीर समस्या का जिम्मेदार कौन, महाराज हरि सिंह या नेहरू ? देखें ये रिपोर्ट
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श्रीनगर: कांग्रेस और कुछ अन्य सियासी दलों द्वारा जम्मू-कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह के अपने राज्य को भारत में शामिल करने को लेकर अक्सर झूठ बोला जाता है। दरअसल, कांग्रेस द्वारा अक्सर यह दलील दी जाती है कि महाराजा हरि सिंह, तब तक भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे, जब तक पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला नहीं कर दिया था। इस दलील के जरिए कांग्रेसी यह महाराजा हरी सिंह के प्रति प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू की घृणा और शेख अब्दुल्ला के प्रति उनके अगाध प्रेम को छुपाने की कोशिश करते हैं। बता दें कि महाराजा हरि सिंह और शेख अब्दुल्ला के बीच हुआ टकराव भारतीय इतिहास की एक अहम कड़ी है।

 

कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक बा फिर इसी तर्क को दोहराया है। जयराम रमेश ने पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करने के चक्कर में इस मुद्दे पर एक बार फिर बहस छेड़ दी, जिसका तथ्यों के साथ जवाब उन्हें केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने दिया। जयराम रमेश ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा कि, 'पीएम ने एक बार फिर वास्तविक इतिहास को छिपा दिया है। वह सिर्फ जम्मू-कश्मीर पर नेहरू की आलोचना करने के लिए निम्नलिखित तथ्यों को नज़रअंदाज़ करते हैं। यह सब राजमोहन गाँधी की सरदार पटेल की जीवनी में अच्छी तरह से उल्लेखित है। ये तथ्य जम्मू-कश्मीर में पीएम मोदी के नए व्यक्ति को भी पता हैं।' जयराम रमेश ने पहला तर्क रखते हुए लिखा कि, 'महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय करने में टालमटोल की। उनके आजादी के सपने थे, मगर जब पाकिस्तान ने हमला किया, तो हरि सिंह भारत में शामिल हो गए।' जयराम ने अगले पॉइंट में कहा कि, 'शेख अब्दुल्ला ने नेहरू के साथ अपनी मित्रता और गाँधी के प्रति सम्मान के चलते भारत में विलय का समर्थन किया।' कांग्रेस नेता ने अगला तर्क रखा कि, 13 सितंबर 1947 तक, जब जूनागढ़ के नवाब पाकिस्तान में शामिल हो गए, तब तक सरदार पटेल जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में शामिल होने को लेकर चिंतित नहीं थे।

 

कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस ट्वीट का केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने तथ्यों के साथ खंडन किया और इस मुद्दे पर उन्होंने भी कई ट्वीट कर इसके संदर्भ दिए। रिजिजू ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'यह ‘ऐतिहासिक झूठ’ कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में शामिल होने के प्रस्ताव को टाल दिया था, जवाहरलाल नेहरू की संदिग्ध भूमिका को छिपाने के लिए काफी लंबे समय तक चला है। जयराम रमेश के झूठ का भंडाफोड़ करने के लिए मैं खुद नेहरू को उद्धृत करता हूँ।'

 

केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा कि, '24 जुलाई 1952 को (शेख अब्दुल्ला के साथ समझौते के बाद) नेहरू ने खुद लोकसभा में यह बात बताई है। आजादी मिलने से एक माह पहले पहली दफा महाराजा हरि सिंह ने भारत में शामिल होने के लिए नेहरू से संपर्क किया था। यह नेहरू ही थे, जिन्होंने महाराजा को फटकार लगाई थी।' कांग्रेस नेता जयराम रमेश के प्रोपेगेंडा की पोल खोलते हुए रिजिजू ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि, 'यहाँ नेहरू के अपने शब्दों में कहा गया है कि ये महाराजा हरि सिंह नहीं थे, जिन्होंने कश्मीर के भारत में विलय में देरी की, बल्कि ये करने वाले खुद नेहरू ही थे। महाराजा ने अन्य सभी रियासतों की तरह जुलाई 1947 में ही नेहरू से संपर्क कर लिया था। अन्य राज्यों के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया, मगर कश्मीर को भारत में शामिल करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया था।'

 

जयराम रमेश को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि, 'नेहरू ने न सिर्फ जुलाई 1947 में महाराजा हरि सिंह के विलय के आग्रह को नामंजूर कर दिया, बल्कि नेहरू ने अक्टूबर 1947 में भी इस मुद्दे पर आनाकानी की। यह तब हुआ, जब पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर के एक किलोमीटर के दायरे में पहुँच चुके थे। ये भी नेहरू के अपने शब्दों में दर्ज है।' केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि, 'मूल ये है: (1) महाराजा जुलाई 1947 में ही भारत में विलय करना चाहते थे, (2) यह नेहरू थे, जिन्होंने हरि सिंह के अनुरोध को ठुकरा दिया था, (3) नेहरू ने कश्मीर के लिए ‘विशेष’ मामला गढ़ा और वे विलय से ‘बहुत अधिक’ चाहते थे। वह विशेष मामला क्या था? वोट बैंक की राजनीति?'

रिजिजू ने नेहरू की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए जयराम रमेश से पूछा कि, 'नेहरू द्वारा कश्मीर को ही एकमात्र अपवाद क्यों बनाया गया, जहाँ रियासत के शासक भारत में विलय होना चाहते थे और फिर भी नेहरू ‘और भी काफी कुछ’ चाहते थे? इतना अधिक क्या था? सच तो यह है कि भारत अभी भी नेहरू की मूर्खता की कीमत चुका रहा है।' 

बता दें कि इतने वर्षों तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस अब तक यही कहते रही है कि कश्मीर समस्या जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के कारण पैदा हुई है। कांग्रेस और उसके नेताओं की हमेश यही दलील रही है कि महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करना चाहते थे, बल्कि वे आज़ाद रहना चाहते थे। कांग्रेस नेता कहते रहे हैं कि जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया, तब जाकर हरि सिंह ने भारत में शामिल होने का प्रस्ताव रखा था। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने भी नेहरू की गलतियों को छिपाने के लिए इसी प्रोपेगेंडा का सहारा लिया।  हालाँकि, केंद्रीय मंत्री ने खुद नेहरू के शब्दों को पेश कर जयराम रमेश की प्रोपेगेंडा की सारा हवा निकाल दी।

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