ऊबर एयर टैक्सी कर सकता है जल्द लॉन्च, सरकार से चल रही बात
ऊबर एयर टैक्सी कर सकता है जल्द लॉन्च, सरकार से चल रही बात
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केंद्र सरकार और एविएशन मिनिस्ट्री के साथ ऊबर ने भारत में फ्लाइंग टैक्सी के वास्ते रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क (एयर टैक्सी के लिए नियम-कायदे) के लिए बातचीत शुरू कर दी है. ऊबर एलिवेट के इवेंट के दौरान उसके प्रॉडक्ट हेड निखिल गोयल ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में यह जानकारी दी. 1% मामलों में भी जल्दी नहीं होती है. अन्यथा इस बेहताशा आबादी वाले भारत में लोगों को काफी फुर्सत है. आवागमन में बेवजह ही जल्दी मचाते हैं. उन्होंने कहा कि सैन फ्रांसिस्को की दिग्गज ट्रांसपोर्टेशन कंपनी ने पिछले एक साल में कई इंडियन रेग्युलेटर्स के साथ चर्चा की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की है. उसे लेकर मोदी सरकार क्या फैसला लेता है ये तो आने वाला समय ही बताएं. 

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आपकी जानकारी के लिए ऊबर एलिवेट के प्रॉडक्ट हेड ने कहा कि कंपनी ने एरियल मोबिलिटी के वास्ते इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने और फ्रेमवर्क बनाने के लिए पूर्व एविएशन मिनिस्टर जयंत सिन्हा और उनके मंत्रालय के अधिकारियों से भी चर्चा की थी और इसमें उन्हें पॉजिटिव रेस्पॉन्स मिला था. उन्होंने कहा, 'रेग्युलेशन के नजरिए से इंडिया में ड्रोन रेग्युलेशन के साथ एरियल मोबिलिटी की शानदार पहल हुई है, इसलिए भविष्य काफी उज्ज्वल लग रहा है.'गोयल ने कहा, 'अब हमारी नजर इस बात पर होगी कि यूरोप के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन पैसेंजर ट्रैवल की दिशा में क्या कर रहा है.' ऊबर ने साल भर पहले भारत, जापान, फ्रांस, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया जैसे इंटरनेशनल मार्केट्स में ऊबर एयर प्रोजेक्ट लॉन्च करने के प्लान का खुलासा किया था. कंपनी ने इन देशों में पहले पायलट के लिए ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न का चुनाव इसी हफ्ते किया है. ऊबर एलिवेट के हेड एरिक एलिसन ने ऊबर एयर की लॉन्चिंग के लिए 5-10 साल का पीरियड तय किया है. गोयल ने कहा, 'किसी नई चीज को अपनाने में इंडियन मार्केट का जवाब नहीं है. इंडिया अगर किसी टेक्नॉलजी को अपनाने वाला पहला देश नहीं है, तो भी अपनाने के मामले में यह सबसे अडवांस्ड टेक्नॉलजी को काफी तेजी दिखाता है.' 

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गोयल ने इमर्जिंग मार्केट में ऊबर एयर प्रॉडक्ट की प्राइसिंग पर कमेंट करते हुए कहा कि ऊबर को इंडिया में इस तरह की सर्विस के लिए सही प्राइस प्वाइंट तय करने में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'यह हमारे लिए बहुत ही मजेदार काम है, क्योंकि इंडिया की आबादी बहुत बड़ी है.' ऊबर के एयर मोबिलिटी के सामने सबसे बड़ी चुनौती रेग्युलेटरी कम्प्लायंस, खासतौर पर पैसेंजर सेफ्टी, व्यापक आधार के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड और सिस्टम में ट्रेंड पायलट की कमी से जुड़ी होंगी. वैसे भी दुनिया भर की सरकारों की तरफ से नए एयरक्राफ्ट कॉन्सेप्ट अपनाने की प्रक्रिया बहुत तेज नहीं रही है. कंपनी अपना एयर मोबिलिटी प्रोग्राम उबर एलिवेट के तहत चला रही है और इसमें हवाई इलेक्ट्रिक राइड सर्विस और फूड डिलीवरी जैसे मीडियम का इस्तेमाल एयर ट्रांसपोर्ट के लिए किया जाएगा.

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