पॉक्सो एवं एनडीपीएस एक्ट के संबंध में प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर हुई चर्चा
पॉक्सो एवं एनडीपीएस एक्ट के संबंध में प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर हुई चर्चा
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उज्जैन/ब्यूरो। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आर.के.वाणी के निर्देशन में जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अरविंद कुमार जैन द्वारा पुलिस विभाग के सहयोग से एक दिवसीय पॉक्सो एवं एनडीपीएस एक्ट के संबंध में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन शनिवार 24 सितम्बर को पुलिस कंट्रोल रुम में किया गया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर एवं माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश श्री वाणी ने अपने उद्बोधन में उपस्थित पुलिस अधिकारियों को कहा कि आज की यह एक दिवसीय कार्यशाला पॉक्सो एक्ट (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) एवं एनडीपीएस एक्ट (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंट एक्ट 1985) के कुछ विशिष्ट प्रावधानों के संबंध में चर्चा करने के लिए रखी गयी है। विगत 2-3 वर्षों के अंदर पॉक्सो एवं एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों में काफी बदलाव किये गये हैं। जब तक न्यायाधीशगण एवं विवेचना अधिकारी इन सभी बदले हुये प्रावधानों के बारे में जानकारी नहीं रखेंगे तब तक हम पीड़ित व्यक्ति को न्याय प्रदान नहीं कर सकते हैं। चूंकि पुलिस अधिकारीगण ज़मीनी स्तर पर कार्य करते हैं और उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ता है इसलिए उनका वैधानिक रूप से सुलभ समाधान निकल सके, इस उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए इस प्रकार की कार्यशालाएं बहुत उपयोगी रहती है।

पुलिस अधीक्षक श्री सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने कहा कि आज की कार्यशाला में न्यायाधीशगण एवं अभियोजन अधिकारीगण पॉक्सो एक्ट, एनडीपीएस एक्ट एवं विवेचना संबंधी अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं के संबंध में जो चर्चा करेंगे वह निश्चित ही फायदेमंद रहेगी। न्याय की यह मंशा है कि कोई दोषी बच न जाए और कोई निर्दोष दण्डित न हो जाए। विवेचना की छोटी-छोटी कमियां जहां अपराधी को फायदा पहुंचाकर समाज का न्यायपालिका के प्रति विश्वास कम करती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पाता है वहीं दूसरी ओर पुलिस की छवि को भी खराब करती है। प्राधिकरण के सचिव अरविंद जैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘‘किसी पीड़ित व्यक्ति के साथ अपराध घटित होने पर मप्र अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना 2015 अंतर्गत सहायता राशि उपलब्ध करवाने का कार्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। किसी पीड़ित के साथ कोई एसिड अटैक, बलात्कार, बच्चों के साथ लैंगिक उत्पीड़न, हत्या, गंभीर हमला कारित होता है तो वह कार्यालय में आकर संपर्क कर सकता है।

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