MP के इस मुस्लिम परिवार ने आज भी सहेजकर रखी है फारसी में लिखी हुई 310 साल पुरानी 'रामायण'
MP के इस मुस्लिम परिवार ने आज भी सहेजकर रखी है फारसी में लिखी हुई 310 साल पुरानी 'रामायण'
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ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक मुस्लिम परिवार के पास फारसी में लिखी हुई 310 वर्ष पुरानी रामायण आज भी सहेजकर रखी गई है। यह गंगा जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल है। इस रामायण की मूल प्रति रामपुर की रजा लायब्रेरी में है। फारसी में लिखी इस रामायण (Ramayan) की प्रति को वर्ष 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी को भेंट की थी। प्राप्त खबर के मुताबिक, अकबरकाल की 468 वर्ष पुरानी अरबी में अनुवादित हस्तलिखित रामायण की कॉपी पड़ाव स्थित गंगादास की बड़ी शाला में रखी है। इस स्थान पर महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते लड़ते शहीद हो गईं थीं। वहीं मानस भवन फूलबाग में भी सालों पुरानी कई भाषाओं में अनुवादित रामायण सहेजकर रखी गईं हैं।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक मुस्लिम परिवार के पास 310 वर्ष पुरानी फारसी रामायण सहेजकर रखी गई है। इसके अतिरिक्त 6 पीढ़ियों से 200 वर्ष पुरानी मराठी अनुवादित रामायण उपस्थित है। सेंट्रल लाइब्रेरी में 78 वर्ष पुरानी लाहौर से प्रकाशित रामायण एवं फादर कामिल बुल्के की रामकथा भी उपस्थित है। 1713 में फारसी में अनुवादित रामायण उपस्थित है। वहीं अरबी में लिखी रामायण की स्याही की चमक आज भी बरकरार है। 1901 की रामायण तुलसी मानस प्रतिष्ठान में रखी है।सिद्धपीठ श्री रामजानकी बड़ी गंगादास की बड़ी शाला के महंत श्री राम सेवक दास जी महाराज ने बताया कि तुलसी मानस प्रतिष्ठान मानस भवन फूलबाग के संग्रहालय एवं वाचनालय में 200-250 साल पुरानी देश विदेश की विभिन्न भाषाओं में लिखीं रामचरितमानस उपस्थित हैं। यह उस वक़्त की बात है जब एक-एक पन्ने पर हाथ से लिखा जाता था। उस वक़्त की स्याही इतनी अच्छी थी कि आज भी उसके अक्षर चमकते हुए दिखते हैं एवं कागज भी बहुत अच्छा था।

समाजसेवी महेश मुदगल ने कहा कि भव्य राममंदिर में रामलला विराजमान होने वाले हैं। इस पल का मैं बखान नहीं कर सकता। यह अलौकिक दृश्य है। राम से बड़ा दुनिया में कोई आदर्श है ही नहीं। राम विश्व के लिए आदर्श हैं। रामायण जी का महत्व पूरे दुनिया के लिए है। पूरी मानव जाति के लिए है। इसका अनुवाद 17वीं शताब्दी में किया गया था। वर्ष 2018 से वाल्मीकि रचित रामचरितमानस मौजूद है। यह दो प्रकार से दुर्लभ है। एक तो ये फारसी में है, जो एक मुस्लिम परिवार के पास है। इसकी मूल प्रति भारत सरकार के पास है।

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