ऐसे हुई थी लीगल सर्विस डे की शुरुआत
ऐसे हुई थी लीगल सर्विस डे की शुरुआत
Share:

इंडिया में प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। 1194 संशोधन अधिनियम के उपरांत कानून प्राधिकरण अधिनियम 1987, 9 नवंबर 1995 को प्रभाव में आ गया।  इसके उपरांत से ही राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस 9 नवंबर को सेलिब्रेट किया जाने लगा। इस दिन की शुरुआत इंडिया के स्वोच्चय न्यायालय द्वारा हुई थी। कानून प्राधिकरण अधिनियम 1987 के प्रभाव में आने वाले दिन को चिन्हित करने के लिए इसे राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस के रूप में एलान कर दिया गया था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश में न्याय व्यवस्था, अधिकारों और कानून को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देना है। इसी के साथ सभी लोगों में न्याय सुनिश्चित करना, गरीब और कमजोर वर्ग के लिए मुफ्त कानून सहायता और सलाह देना भी शामिल हो चुका है।

हर परिस्थिति में नागरिक न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है और उम्मीद करता है कि उसे न्याय बिना किसी भेदभाव के मिल जाएगा। लोगों का कोर्ट में विश्वास बने रहे इसी लिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस को सेलिब्रेट किया जाने लगा ताकि लोगों में कानून के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सकें। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है।

National Legal Services Day 2022: जानिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में 

कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987: राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस के इतिहास के बारे में जानने से पूर्व आपके लिए ये जानना आवश्यक है कि कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 क्या है, क्योंकि राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस कि शुरुआत के पिछे इस अधिनियम की अहम् रोल है।

इंडिया के संविधान अनुच्छेद 39 Aऔर इसकी समिति द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा कानून सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 को अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम को 1994 के संशोधन अधिनियम के उपरांत 9 नवंबर 1995 में लागू  कर दिया जाने वाला है। जिसके उपरांत  से मुख्य अधिनियम के लिए कई संशोधन पेश किए जाने वाले है। आपको बता दें कि इस अधिनियम के जरिए पिछडे़ हुए वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, विकलांग व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार भी दिया जा रहा है। अधिनियम के कारण किसी भी प्राकर से किसी विकलांग या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को न्याय से वंचित नहीं रखा जा सकता है। न्याय प्राप्त करने का जिनता अधिकार एक अमीर व्यक्ति या किसी समान्य वर्ग के व्यक्ति को है उतना ही अधिकार एक आम व्यक्ति को है। न्याय प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं है, सभी को उसके समान मौका दिए जाना इस अधिनियम के अंतर्गत शामिल किया गया है।

शराब परिवहन करते दो युवक पकड़ाए, मामले की जांच जारी

'हिन्दू शब्द का मतलब बहुत गन्दा, ये इराक-ईरान से भारत आए..', कांग्रेस नेता ने उगला जहर, Video

Video: 'भाजपा को वोट देना, AAP को नहीं', कांग्रेस नेता ने लोगों से की अपील

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -