'इस्लाम और आतंकवाद का कोई संबंध नहीं..', भारत आए मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव अल-ईसा का बयान
'इस्लाम और आतंकवाद का कोई संबंध नहीं..', भारत आए मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव अल-ईसा का बयान
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नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code-UCC) पर चर्चा के बीच सऊदी अरब के पूर्व कानून मंत्री शेख डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा भारत आए हुए हैं। वे मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव हैं। अल-ईसा ने कहा कि जो मुसलमान भारत में रहते हैं, उन्हें अपने संविधान पर गर्व है। दूसरे धर्म के लोगों के साथ उनका भाईचारे का संबंध है। हां, कुछ मतभेद हो सकते हैं, मगर संविधान के तहत उनके द्वारा साझा किए जाने वाले भाईचारा और प्रेम के ढांचे पर बात होनी चाहिए।

इसके साथ ही अल-ईसा ने आतंकी संगठनों की आलोचना करते हुए कहा है कि वे (आतंकी) मजहब की छवि खराब करते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस्लाम और आतंकवाद का एक-दूसरे से कोई वास्ता नहीं है। आतंकी संगठन अपने अलावा और किसी का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इनका कोई मजहब या देश नहीं है। हम इन विचारों का सामना करते हैं, मुकाबला करते हैं और विश्व के समक्ष सच्चाई पेश करते हैं।  इससे पहले उन्होंने कहा था कि, 'मैं भारतीय लोकतंत्र को तह-ए-दिल से सलाम करता हूँ। मैं भारत के संविधान को सलाम करता हूँ। मैं विश्व को सद्भावना सिखाने वाले भारतीय दर्शन और परंपरा को भी नमन करता हूँ।' उन्होंने कहा कि, मैंने भारत में जो मैंने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व देखा, वह भी अपने आप में अद्वितीय और अद्भुत है। 

Harmony of Dialogue among Religions को संबोधित करते हुए अल-ईसा ने कहा था कि, 'जब भी संवाद की कमी होती है, तो दो लोगों के बीच में गलतफहमी और समस्या पैदा हो जाती है। इसलिए संवाद का पुल बनाना जरूरी है। सांस्कृतिक टकराव (Clash of Civilisation) को रोकने के लिए हमें अगली पीढ़ी का बचपन से ही मार्गदर्शन देना होगा और उन्हें इससे बचाना होगा।' आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुए दुनिया के प्रमुख मुस्लिम नेताओं में से एक ने कहा कि, 'गलतफहमी, घृणा और गलत अवधारणाओं ने कट्टरपंथ फैलाकर आतंकवाद बढ़ाने में मदद दी है। अपनी ताकत को बढ़ाने वाले काफी सारे नेता हेट नैरेटिव का इस्तेमाल करते हैं और अपनी प्रासंगिकता एवं नियंत्रण सुनिश्चित करते हैं।' अल-ईसा ने कहा कि कुछ ही संस्थाएँ इस प्रकार की गलत विचार परोसते हैं।

हिन्दू बहुल होने के बावजूद भारत ने स्वीकार किया धर्मनिरपेक्ष संविधान:-

बता दें कि, इससे पहले मंगलवार (11 जुलाई) को सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री अल-ईसा ने कहा था कि, 'भारत ने हिंदू बहुल राष्ट्र होने के बाद भी धर्मनिरपेक्ष संविधान स्वीकार किया, ये यहाँ की खासियत है। विभिन्न संस्कृतियों में संवाद स्थापित करना वक़्त की माँग है। सहनशीलता जीवन का हिस्सा है। इस्लाम प्यार और संवाद के लिए हमेशा खुला है।' उन्होंने कहा कि, 'भारत के संबंध में पाकिस्तान दुष्प्रचार किया करता है। भारत में मुस्लिम और उनके मज़हब को कोई खतरा नहीं है। मुस्लिम देश इंडोनेशिया को छोड़ दें, तो भारत में दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी रहती है। इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के 33 सदस्य देशों के बराबर मुस्लिम भारत में रहते हैं।'

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