काकोरी कांड करने वाले 'आजाद' के जीवन से जुड़ी है खास बात
काकोरी कांड करने वाले 'आजाद' के जीवन से जुड़ी है खास बात
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नई दिल्ली: आज वीर देशभक्त चंद्रशेखर आज़ाद की पुण्यतिथि है. आज ही के दिन अल्फ्रेड पार्क में अग्रेजो के बीच खुद को गोली मार ली थी और इस तरह आज़ाद ताउम्र 'आज़ाद' ही रहे थे. उन्हें कभी भी अंग्रेज सरकार पकड़ नहीं पायी थी. काकोरी कांड के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद का नाम भारतीय स्वंतंत्र इतिहास में किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है. हम सभी को उनके हर बलिदान और वीरता की कहानी याद है.

चंद्र शेखर आज़ाद के नेतृत्व में ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे वीरो ने देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी थी. वह 15-16 साल की उम्र में ही आज़ादी के आंदोलन से जुड़ गए थे. जब उन्हें पहली बार कोर्ट में पेश किया गया था तब उन्हें 15 कोदो की सजा सुनाई गयी थी.

जिसके हर वार के साथ उनके मुह से 'वनडे मातरम' ही निकल था. इस दौरान उन्होंने ब्रिटिश जज को अपना नाम 'आज़ाद' पिता का नाम 'स्वतंत्रता' और 'जेल' को अपना घर बताया था. 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजी सेनिको ने आज़ाद को घेर लिया था. काफी ढेर तक संगर्ष करने के बाद आज़ाद बुरी तरह झख्मी हो गए थे. इसी बीच उनके पास एकमात्र गोली बची थी. जिससे उन्होंने खुद को गोली मार कर अपने प्राण त्याग दिए थे और इस तरह चंद्रशेखर ताउम्र 'आज़ाद' ही रहे.

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