मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर राज्य को मिली नई सौगात, इस शहर को यूनेस्को ने दिया ‘सिटी आफ म्यूज़िक’ का खिताब
मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर राज्य को मिली नई सौगात, इस शहर को यूनेस्को ने दिया ‘सिटी आफ म्यूज़िक’ का खिताब
Share:

ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर को UNESCO ने ‘सिटी आफ म्यूज़िक (City of Music) के खिताब से सम्मानित किया गया है। केंद्रिय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की कोशिशों से शहर को ये विशेष तमगा हासिल हुआ है। यूनेस्को द्वारा चयन किए जाने के पश्चात् अब ग्वालियर के संगीत को विश्व पटल पर एक नई पहचान प्राप्त होगी तथा एक नई उड़ान भी हासिल होगी। अब विश्व संगीत पटल पर ग्वालियर का नाम होगा। यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर के समारोह आयोजित होंगे तथा इससे पर्यटन को भी बढ़ावा प्राप्त होगा।

पुरातन काल से ग्वालियर में संगीत लहरियां गूंजती रही है। ये तानसेन का शहर है. जिनका जन्म ग्वालियर से लगभग 45 किलोमीटर दूर बेहट गांव में हुआ था। इस गांव में एक नदी बहती है जिसका नाम झिलमिल है। किन्तु बेहट, ग्वालियर और दरअसल पूरे देश की सांगीतिक झिलमिल तो मियां तानसेन हैं। वो तानसेन जिनके बारे में कहा जाता है कि वो बचपन में बोल नहीं पाते थे। उनके माता पिता ने भगवान की अथक प्रार्थना के पश्चात् उन्हें पाया मगर बालक ‘तनु पांडे’ बोलने में असमर्थ थे। कथानुसार, वो बचपन में बकरियां चराया करते तथा एक बकरी का दूध निकालकर भगवान महादेव को चढ़ाते। एक तेज वर्षा वाले दिन बालक तनु शिवजी पर दूध चढ़ाना भूल गए। शाम को तब वो भोजन करने बैठे तो ये बात याद आई। अपना भोजन छोड़ वो तुरंत बारिश में ही शिव मंदिर पहुंच गए। इस भोले बालक की भक्ति से शिवशंकर प्रसन्न हुए तथा उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा। तब बालक ने अपने गले की ओर संकेत किया। इसपर महादेव ने कहा कि जितना जोर से बोल सकते हो..बोले। तत्पश्चात, बालक तानसेन ने ऐसी आवाज लगाई कि शिवमंदिर एक तरफ झुक गया। बस उसी क्षण उनकी संगीत आराधना भी शुरु हो गई और वो आलाप लगाने लगे। बेहट गांव में आज भी वो टेढ़ा शिवमंदिर स्थिति है जहां देश विदेश से लोग उसे देखने पहुंचते हैं।

वही आज 1 नवंबर मध्य प्रदेश की स्थापना दिवस की प्रातः प्रदेशवासियों के लिए सौगात लेकर आई है। ग्वालियर चंबल यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (यूसीसीएन) में सम्मिलित हो गया है। ग्वालियर ने ‘संगीत’ श्रेणी में इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाई  है जिसका ऐलान यूनेस्को ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी किया है। इस बात के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयासों को बड़ा श्रेय जाता है। उन्होने ग्वालियर का नाम UNESCO के म्यूजिक सिटी में सम्मिलित हो, इसके लिए जून माह में एक समर्थन पत्र लिखा था। इस चिट्ठी में ग्वालियर के महान सांस्कृतिक व संगीत के इतिहास और विरासत के बारे में बताया गया था साथ ही ग्वालियर घराने के महान संगीतकार तानसेन एवं बैजू बावरा का भी उल्लेख था। उनका ये प्रयास रंग लाया तथा अब ग्वालियर को ‘संगीत के शहर’ की उपाधि दी गई है।

विपक्षी नेताओं को Apple से आए अलर्ट का जॉर्ज सोरोस से है कनेक्शन! BJP का बड़ा दावा

भारत के इस मंदिर में विराजमान हैं चौथ माता, दर्शन करने से मिलता है अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

PM मोदी ने शेख हसीना के साथ किया 3 परियोजनाओं का उद्घाटन, भारत सरकार ने की करोड़ों मदद

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
Most Popular
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -