कश्मीर फाइल्स: जिस आतंकी ने खुद कबूली 20 हत्याएं, उसे कोर्ट ने जमानत पर कर दिया रिहा
कश्मीर फाइल्स: जिस आतंकी ने खुद कबूली 20 हत्याएं, उसे कोर्ट ने जमानत पर कर दिया रिहा
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नई दिल्ली: आजकल देश में फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर हर जगह चर्चा हो रही है। इसमें कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का दर्द दर्शाया गया है, जो उन्होंने कई वर्षों पूर्व झेला था। वहीं, इस फिल्म में एक किरदार है जिसे लेकर लोगों में उत्सुकता है कि आखिर वह है कौन ? दरअसल, हम बात कर रहे हैं आतंकी फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की। आजकल इसी बिट्टा कराटे का एक पुराना वीडियो भी इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहा है। 

बता दें कि बिट्टा कराटे का वास्तविक नाम फारुक अहमद डार है, जो कि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का खूंखार आतंकी रहा। बताया जाता है कि फारुख अहमद डार तेज तर्रार कराटे प्लेयर था, इसलिए उसे बिट्टा कराटे कहने लगे थे। कई हत्याओं को अंजाम देने वाला यही बिट्टा कराटे बाद में एक अलगाववादी नेता के रूप में सामने आया, जो बातचीत के जरिए मसले का समाधान करने की बात करता था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिट्टा कराटे ने पाकिस्तान में जाकर आतंकी प्रशिक्षण लिया था। बॉर्डर पार बने आतंकी कैंपों में हथियार चला सीखा और मार्शल आर्ट ट्रेनिंग भी ली थी। कई वर्षों के बाद वह वापस कश्मीर लौटा और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गया। फिर धीरे-धीरे उसने कश्मीर में खून बहाना शुरू कर दिया। बिट्टा कराटे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह स्थानीय प्रशासन से तंग आकर आतंकी बना।

बिट्टा कराटे आतंकी बनने के बाद JKLF में शामिल हो गया। फिर उसने लोगों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया, जिसमें ज्यादातर कश्मीरी पंडित थे। इस नरसंहार के बाद साल 1990 में बिट्टा कराटे को गिरफ्तार कर लिया गया। मीडिया के सामने बिट्टा कराटे ने 20 से अधिक हत्याओं को अंजाम देने की बात स्वीकारी, मगर कोर्ट में वह अपने ही दावों से मुकर गया। फिर बिट्टा को सबूतों के अभाव में 2006 में टाडा अदालत ने जमानत पर छोड़ दिया गया। बिट्टा को जमानत पर रिहा करने के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि आरोपी के खिलाफ संगीन इल्जाम हैं, मगर अभियोजन पक्ष ठोस सबूत देने में नाकाम रहा। जिस आरोपी को सजा मिलनी चाहिए थी, उसे जमानत पर छोड़ा जा रहा है। जेल से बाहर आने के बाद बिट्टा कराटे ने फिर से JKLF का दामन थाम लिया और फिर एक अलगाववादी नेता के तौर पर सामने आया।

वहीं, पुलवामा हमले के बाद बिट्टा को 2019 में NIA ने टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने JKLF यानी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को बैन कर दिया। फिर कई अलगाववादी नेताओं को देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में जेल में डाल दिया गया था।

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