कोर्ट ने आदमखोर बाघ को वापस रणथंभौर लाने की अर्जी को ठुकराया
कोर्ट ने आदमखोर बाघ को वापस रणथंभौर लाने की अर्जी को ठुकराया
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जयपुर: क्या आप सोच सकते है कि देश की सर्वोच्च अदालत एक बाघ को सजा दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उस्ताद नाम के बाघ को नेशनल पार्क में वापस भेजे जाने की अर्जी को ठुकरा दिया है। बेंच ने वकीलों से कहा कि इस बात को साबित करना होगा कि बाघ आदमखोर हो चुका है और इसके लिए गवाह भी चाहिए जो इस बात की पुष्टि कर सके कि इसी बाघ ने इंसानों का शिकार किया है।

फिलहाल उस्ताद उदयपुर के सज्जनगढ़ जू में है। इस टाइगर ने पिछले एक साल में 4 लोगों की जानें ली है। 2012 में इसने एक गार्डव दो स्थानीय लोगों को मारा था। इसके बाद 2015 में इसने रामपाल सैनी नाम के फॉरेस्ट गार्ड को मार डाला था। गार्ड की हत्या के बाद उसे 500 किमी दूर उदयपुर शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन इस टाइगर कोौ वापस रणथंभौर के जंगलों में लाने के लिए सोशल मीडिया में कैंपेन चला और कैंडिल लाइट मार्च निकाला गया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को स्वीकारा कि ये बाघ आदमखोर हो गया है और मानव जाति की सुरक्षा सबसे पहले है। टाइगर कन्जर्वेशनिस्ट अजय दुबे की पिटीशन पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस आर भानुमति की बेंच ने यह फैसला सुनाया। इस टाइगर पर कई डाक्युमेंट्री बन चुकी है।

बता दें कि जब इसे यहां शिफ्ट किया गया था तो अपनी टाइग्रेस की याद में ये बेहद उदास रहता था। कई दिनों तक इसने खाना-पीना भी छोड़ दिया था। 2005 में जन्मा उस्ताद पिछले साल दिसंबर में वह बीमार हो गया था, जिसके बाद उसका ऑपरेशन करना पड़ा।

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