प्रतिबंध के बाद भी रूक नहीं रहा डिस्पोजल का उपयोग
प्रतिबंध के बाद भी रूक नहीं रहा डिस्पोजल का उपयोग
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उज्जैन : नगर निगम के अधिकारियो ने भले ही नगर में डिस्पोजल के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया हो लेकिन इनका उपयोग थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी ब्याह शादी का मौसम चल रहा है और गार्डन, धर्मशालाएं, मांगलिक परिसरों आदि में न केवल विवाह आयोजनकर्ताओं द्वारा खुलकर डिस्पोजल का उपयोग किया जाते हुए देखा जा सकता है वहीं गार्डन आदि के संचालक भी चुप्पी साधे हुए रहते है, लिहाजा डिस्पोजल का उपयोग रूकते नहीं रूक रहा। अब नगर निगम के अधिकारियों को चाहिए कि वह औचक निरीक्षण करे, ताकि आदेश का पालन हो सके। पिछले एक सप्ताह पहले नगर निगम के अधिकारियों ने गार्डन, धर्मशालाएं, मांगलिक परिसरों में आदि में होेले वाले मांगलिक कार्यक्रमों में डिस्पोजल का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया था।

इसके पीछे कारण यह था कि फायबर डिस्पोजल के उपयोग से न केवल गंदगी फैलती हैं वहीं डिस्पोजल नष्ट नहीं होने के कारण प्रदूषण तो फैलता ही है, मवेशियों द्वारा खाने के कारण उनकी जान को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। लिहाजा नगर निगम अधिकारियों ने डिस्पोजल के उपयोग लगाने का निर्णय लिया था। इस आदेश को जारी किए हुए एक सप्ताह से अधिक व्यतीत हो गया है, परंतु इसके बाद भी उपयोग रूकने का नाम नहीं ले रहा है। इससे यह प्रतीत होता है कि केवल आदेश जारी कर दिए जाते है लेकिन उनके परिपालन कराने की दिशा में अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। डिस्पोजल सामग्री का उपयोग घरों में भी सामान्य तौर पर होता रहता है।

इसके साथ ही गली मोहल्लों के साथ ही प्रमुख बाजारों आदि में डिस्पोजल सामग्री की दुकानें संचालित होती है। इसके अलावा ये सामग्री न केवल सस्ती मिलती है वहीं ये लोगों को आसानी से भी उपलब्ध हो जाती है। यदि यूं कहे तो भी अतिष्योक्ति नहीं होगी कि डिस्पोजल सामग्री हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है क्योकि इनका उपयोग शादी ब्याह के आयोजनों के साथ ही चाय की होटलों पर भी आसानी से होते हुए दिखाई दे सकता है। चाय की होटलों पर पहले कांच के ग्लास का उपयोग चाय के लिए किया जाता था, परंतु पिछले कुछ वर्षों से चाय की होटलों पर कांच के ग्लास का उपयोग हवा हो गया है वहीं इनका उपयोग डिस्पोजल ग्लास ने ले लिया है।

इसके अलावा घरों में भी होने वाले छोटे बड़े कार्यक्रमों में भी लोग डिस्पोजल सामग्री का ही उपयोग करते हैं क्योकि ये यूज एंड थ्रो होने के कारण लोग इन्हें खरीदना उचित समझते है। लेकिन जिस तरह से डिस्पोजल सामग्री का उपयोग लगातार बढता जा रहा हैं उससे ये खतरा बन गये है। डिस्पोजल सामग्री का उपयोग करने के बाद लोग इन्हें सड़कों के साथ ही वहीं छोड़ देते हैं जहां आयोजन होते है, ऐसी स्थिति में इनके कारण न केवल प्रदूषण फैलता है वहीं नालियां आदि भी जाम हो जाती है। इसके अलावा ये मवेशियों की जान का खतरा भी बनते है क्योकि खुले में बिखरी पड़ी डिस्पोजल सामग्री को मवेशी खा लेते है और फिर इससे जान का खतरा उत्पन्न हो जाता है।

नगर निगम के अधिकारियों द्वारा आदेश देने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाना, समझ से परे ही प्रतीत होता है। अब अधिकारियों को चाहिए तक मांगलिक कार्यक्रम स्थलों का औचक निरीक्षण कर स्थिति को देखे और कार्रवाई को अंजाम दें। गौरतलब है कि निगम अधिकारियों ने होटल, गार्डन आदि के संचालकों की बैठक लेकर उन्हें भी डिस्पोजल सामग्री उपयोग नहीं होने की चेतावनी दी थी वहीं यह भी कहा था कि वे मांगलिक कार्यक्रमों के आयोजनकर्ताओं को भी डिस्पोजल सामग्री उपयोग करने से रोके और यदि इसके बाद भी उपयोग करते हुए दिखाई दें तो इसकी जानकारी निगम अधिकारियों को दी जाए।

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