भगत सिंह की बायोग्राफी लिखने वाले लेखक को काटनी पड़ी थी 2 साल जेल की सजा
भगत सिंह की बायोग्राफी लिखने वाले लेखक को काटनी पड़ी थी 2 साल जेल की सजा
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नई दिल्ली: आज भले ही भगत सिंह सिंह हमारे बीच न हों, लेकिन वे हमारी यादों में हमेशा अमर रहेंगे। देश में एक बड़ा वर्ग है, जो उन्हें स्वतंत्रता सेनानी तथा क्रांतिकारी से आगे एक बड़ा हीरो मानता है। लेकिन युवाओं के बीच वह जितना लोकप्रिय थे, उतना ही उनका नाम विवादों से रहा। ऐसा इसलिए, क्योंकि कभी संसद में उनकी मूर्ति को आपत्ति व्यक्त की गई, तो कभी जारी हुए सिक्कों पर विवाद हुआ। यहां तक कि उनकी बायोग्राफी लिखने वाले एक लेखक को भी 2 वर्ष जेल की सजा काटनी पड़ गई थी।

आज (23 मार्च) शहीदी दिवस है। इस दिन क्रांतिकारी भगत सिंह को उनके मित्रों के साथ फांसी दे दी गई थी। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने सुबह सवेरे एक ट्वीट किया। उन्होंने भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें याद किया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु के विचार हमेशा अमर रहेंगे। इन्साफ के ख़िलाफ़ जब-जब कोई आवाज़ उठेगी, तब उस आवाज़ में इन शहीदों का अक्स होगा। जिस दिल में भारत के लिए मर-मिटने का जज़्बा होगा, उस दिल में इन तीन वीरों का नाम होगा।

बता दे कि वर्ष 1970 में तब के मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने भगत सिंह की मूर्ति का अनावरण किया था। नवांशहर (अब शहीद भगत सिंह नगर) में तब उनके भाई कलतार सिंह भी उपस्थित थे तथा प्रतिमा में सिंह को टोपी पहने हुए दिखाया गया था। हालांकि, बाद में इस मूर्ति को बदल गया था तथा नई मूर्ति में उन्हें पगड़ी के साथ दिखाया गया था। शहीदी दिवस पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहा गया- व्यक्तियों को कुचलने से विचारों का क़त्ल नहीं किया जा सकता, एक विचार बदलाव ला सकता है। उसी बदलाव के लिए वैचारिक लड़ाई जारी है। वही जब सरकार ने भगत सिंह के शताब्दी वर्ष (2007-8) पर पांच रुपए तथा 100 रुपए के सिक्के जारी किए थे, तो उनमें शहीद क्रांतिकारी को टोपी पहने दिखाया गया था। पंजाब में अकाली दल के नेताओं ने इस बाबत विरोध व्यक्त किया था तथा कहा था कि भगत सिंह के पगड़ी वाले अवतार को चित्रित नहीं किया गया। इसके साथ ही भगत सिंह की बायोग्राफी लिखने के लिए जितेंद्र नाथ सान्याल को दो वर्ष की जेल काटनी पड़ी थी। लाहौर साजिश मामले में वह रिहा कर दिए गए थे तथा वह सिंह को निजी रूप से जानते भी थे।

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