नई दिल्ली : भारत में हमले के लिए हर बार ऑफिस पाकिस्तान में ही बनाया जाता है, लेकिन फिर भी पाक आतंकी हमलों में अपनी सम्लितता से इंकार करता आया है। बीते साल दिल्ली पर आतंकी हमले करने साजिश रची गई थी। लेकिन आतंकियों द्वारा तैयार किए गए आईडी में लीकेज के कारण इसे टाल दिया गया।
हैरानी की बात यह है कि दोनों आतंकी दिल्ली से सफलता पूर्वक फरार हो गए थे। लेकिन एक अन्य मामले में इन्हें अफगानिस्तान सिक्योरिटी एजेंसी ने गिरप्तार कर लिया है। इनसे पूछताछ के दौरान सभी बातें सामन आई है। दिसंबर 2015 में इंडियन सिक्योरिटी एजेंसी अल-कायदा के एक मॉड्यूल को खत्म करने में जुटी थीं।
इसी दौरान जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी दिल्ली पर हमले की साजिश रच रहे थे। भारत में घुसने के लिए एक आतंकी ने खुद को मरीज और दूसरे ने अटेंडेंट बताया था। हैरानी की बात ये है कि दिल्ली पुलिस ने मेडिकल असिस्टेंस के तौर पर उनका वेरीफिकेशन भी क्लियर कर दिया था।
आतंकी लाजपत नगर में एक किराए का मकान लेकर रहे रहे थे। इन लोगों ने 6 आईडी बम बनाए थे। इनकी योजना ताजमहल, इस्कॉन टेंपल और साकेत के एक मॉल को निशाना बनाने की थी। इस साजिश को अँझआण धएऩए खए ळइए ऑफिस पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा में बनाया गया था।
जनवरी में काबुल की इंडियन कांसुलेट पर हमला हुआ तो भारत और अफगानिस्तान की एजेंसियां जैश पर बेहद सख्त हो गईं। जांच के दौरान पता लगा कि अफजल गुरू की मौत का बदला लेने के लिए कांसुलेट को निशाना बनाया गया। मार्च में होली के आसपास, कांसुलेट पर हमले की जांच के दौरान जैश के दो आतंकी काबुल पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
इनके नाम थे अहमद खान दुर्रानी और अब्दुल कादरी। अहमद अफगान और अब्दुल पाकिस्तानी नागरिक है। पूछताछ के दौरान इन दोनों ने दिल्ली पर हमले की साजिश का खुलासा किया। काबुल पुलिस ने इस बारे में भआऱथईय़ एजेंसियों को सूचित किया है। इन दोनों ने जामा मस्जिद इलाके से पटाखे और शैंपू खरीदे थे।