नई दिल्ली: अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल को खोदने और कलाकृतियों की सुरक्षा के लिए जनहित याचिकाओं को देश की सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने दोनों याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं को तुच्छ करार दिया है.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वो जनहित में ये याचिका कैसे दायर कर सकते हैं. कोर्ट ने एक माह के अंदर जुर्माना जमा करने का आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि रामजन्मभूमि स्थल के समतलीकरण के दौरान कई अवशेष बरामद हुए थे. इसके उपरांत बिहार से आये दो बौद्ध मतावलंबियों ने राम जन्मभूमि पर अपना दावा ठोंका था. भंते बुद्धशरण केसरिया ने कहा था कि अयोध्या में तैयार हो रहे राममंदिर के लिए किए गए समतलीकरण के दौरान बौद्ध संस्कृति से संबंधित काफी सारी प्रतिमाएं, अशोक धम्म चक्र, कमल का पुष्प एवं अन्य अवशेष मिलने से यह साफ़ हो गया है कि मौजूदा अयोध्या बोधिसत्व लोमश ऋषि की बुद्ध नगरी साकेत है.
उन्होंने कहा कि, 'अयोध्या मामले पर हिंदु मुस्लिम और बौद्ध तीनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। किन्तु सारे सबूतों को नज़रअन्दाज़ करते हुए हिंदुओं के पक्ष में एकतरफा फैसला दे दिया गया. इसके लिए हमारे संगठन ने राष्ट्रपति, शीर्ष अदालत सहित कई संस्थाओं को पत्र लिखकर वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी दी है.'
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