सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली पर संसद की कार्रवाई रोकी, ममता सरकार की याचिका पर 4 हफ्तों में गृह मंत्रालय से माँगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली पर संसद की कार्रवाई रोकी, ममता सरकार की याचिका पर 4 हफ्तों में गृह मंत्रालय से माँगा जवाब
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नई दिल्ली: संदेशखाली में दलित आदिवासी महिलाओं के यौन शोषण और उनकी जमीन हड़पने से जुड़े मामले में एक बड़ा हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ संसद समिति की कार्यवाही रोक दी है। अदालत ने लोकसभा सचिवालय, पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर उनका जवाब मांगा है। दरअसल, बंगाल सरकार ये कार्रवाई रुकवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। ममता सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी वकील के रूप में पेश हुए थे। हालांकि याचिका को आज सूचीबद्ध नहीं किया गया था, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और डॉ अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा तत्काल उल्लेख किए जाने के बाद पीठ ने सुबह 10.30 बजे इसे पहले आइटम के रूप में लियालोकसभा सचिवालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवाशीष भरूखा ने पीठ को सूचित किया कि अधिकारियों को "आरोपी" के रूप में नहीं बुलाया गया है और नोटिस केवल तथ्यों का पता लगाने के लिए था। वकील ने बताया कि संदेशखाली की स्थिति जानने के लिए अधिकारियों को बुलाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संसद की कार्रवाई पर रोक लगा दी।

बता दें कि, संदेशखाली में महिलाओं की दयनीय स्थिति को देखते हुए संसद की विशेषाधिकार समिति ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, राज्य के पुलिस महानिदेशक और स्थानीय जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और पुलिस थाना प्रभारी को सोमवार को उसके सामने पेश होने का आदेश दिया था। यह नोटिस तब जारी किया गया था जब बालुरघाट से सांसद सुकांत मजूमदार उस समय पुलिस के साथ झड़प में घायल हो गए थे जब पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने सुदूर द्वीप का दौरा किया था। हालाँकि, संसद बंगाल के अधिकारीयों से कोई रिपोर्ट लेती, इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी और गृह मंत्रालय से 4 हफ्तों में जवाब माँगा है यह मामला तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और स्थानीय ताकतवर नेता शेख शाहजहां से जुड़ा है, जिन पर और उनके सहयोगियों पर ग्रामीणों का व्यवस्थित रूप से शोषण करने और यौन उत्पीड़न के कई मामलों का आरोप लगाया गया है। उसके दो गुर्गे - उत्तम सरदार और शिबू प्रसाद हाजरा - को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन TMC नेता शाहजहाँ अभी भी फरार है।

संदेशखली का दौरा करने वाले राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि "संख्या में महिलाओं" ने उन्हें बताया है कि उन्हें परेशान किया गया और धमकाया गया, और उन्होंने उनकी लिखित शिकायतें राज्य सरकार को भेज दी हैं। गवर्नर बोस ने मीडिया को बताया कि, "बड़ी संख्या में महिलाएं मुझसे मिलीं और मुझे अपनी शिकायत बताई। उन्होंने कहा कि उनके साथ छेड़छाड़ की गई, उन्हें परेशान किया गया और धमकाया गया, उनके पतियों को पीटा गया।" 

वहीं, बंगाल सीएम ममता बनर्जी ने भाजपा पर 'मामूली का पहाड़' बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया, "शांति के बजाय, वे आग लगा रहे हैं।" पिछले सप्ताह संदेशखाली का दौरा करने वाले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने हिंसा और राजनीतिक तनाव के बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी। अनुसूचित आयोग ने कहा था कि, यहाँ दलित आदिवासी महिलाओं पर घोर अत्याचार हो रहा है और स्थानीय प्रशासन इसे संभालने में नाकाम रहा है, इसलिए यहाँ राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए। 

संदेशखाली में क्या हो रहा ?

बता दें कि, राशन घोटाले में फरार TMC नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी की मांग को लेकर स्थानीय लोगों, विशेषकर महिलाओं ने हाथों में चप्पलें लेकर संदेशखाली के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया है। शाहजहां शेख, तलाशी लेने पहुंची ED की टीम पर हमले के बाद से फरार है। बंगाल पुलिस भी उसका कोई पता नहीं लगा पाई है। अब TMC नेता शाहजहां शेख के जाने के बाद इन महिलाओं की थोड़ी हिम्मत बढ़ी है और वे सड़कों पर उतरकर न्याय मांग रहीं हैं।

प्रदर्शन कर रहीं सैकड़ों महिलाओं का कहना है कि शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनका यौन शोषण करते हैं, घरों से महिलाओं को उठा ले जाते हैं और मन भरने पर छोड़ जाते हैं। महिलाओं का कहना है कि, यहाँ रेप और गैंगरेप आम बात है। TMC के गुंडे अपनी महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते, उन्हें अकेले मीटिंग में बुलाते हैं, धमकी देते हैं कि नहीं आई तो तुम्हारे पति को मार डालेंगे। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि, उन्हें (TMC के गुंडों को) जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो घर से उठा ले जाते हैं और रात भर भोगकर, सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस TMC के गुंडों की ढाल बन जाती और पीड़ितों को ही दबाती है। एक महिला ने तो मीडिया से बात करते हुए यहाँ तक दावा किया था कि, TMC के गुंडे घरों के सामने आकर कहते हैं कि 'बाहर निकल आज तेरे साथ सामूहिक बलात्कार करेंगे।' ये कहते हुए गुंडे उसे पति और पुलिस के सामने खींच कर ले गए, लेकिन कोई नहीं बचा सका। अब बंगाल सीएम कह रहीं हैं कि महिलाओं ने कोई FIR ही नहीं लिखवाई है, लेकिन जब पुलिस के सामने ही उनका शोषण हो, तो उनकी शिकायत कौन लिखेगा ? 

अब शाहजहां शेख के फरार होने के बाद ये महिलाएं आवाज़ उठाने लगी हैं तो बंगाल पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगा दी है। लोगों को वहां जाने नहीं दिया जा रहा है, कांग्रेस-भाजपा के प्रतिनिधिमंडल को रोक दिया गया था। यहाँ तक कि, गवर्नर जब उन पीड़ित महिलाओं से मिलने जा रहे थे, तो TMC वर्कर्स ने केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर उनका काफिला भी रोक दिया था। किसी तरह गवर्नर यहाँ पीड़िताओं से मिलने पहुँच पाए और उनकी बातें सुनीं, लेकिन एक्शन तो बंगाल पुलिस को लेना है, जो ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार के आधीन है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि, जो बंगाल पुलिस अब तक ED अधिकारीयों पर हमला करके फरार हुए TMC नेता शाहजहां शेख को नहीं ढूंढ पाई है, उसके खिलाफ आवाज़ उठा रही पीड़ित महिलाओं को दबा रही है, क्या उससे इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है ?

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