नई दिल्ली: पचास दिनों की जगह सप्ताह भर के 'सांकेतिक ग्रीष्मावकाश' के बाद सर्वोच्च न्यायालय सोमवार से खुल तो गया, किन्तु ये भी स्पष्ट हो गया कि सितंबर तक तो कोर्टरूम में पहले की तरह सामान्य सुनवाई नहीं हो सकेगी. यानि अगले तीन महीने तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही सुनवाई होगी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई लॉकडाउन से दो दिन पहले 23 मार्च से शुरू है.
स्थिति के मद्देनज़र कहा जा सकता है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शीर्ष अदालत में वर्चुअल सुनवाई का सिलसिला कम से कम सितंबर तक तो जारी रहेगा. अदालत खुलने से पहले सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन ने वकीलों को ऑनलाइन सूचना वाला सर्कुलर भेज दिया कि जिन वकीलों को अदालत में वर्चुअल रूप से पेश होना हो वो सुनिश्चित कर लें कि उनके मोबाइल, लैपटॉप, पीसी या फिर आईपैड में 4जी तकनीक से लैस डेडीकेटेड लाइन वाला इंटरनेट कनेक्शन है. जिसमें डाटा ट्रांसफर की रफ्तार कम से कम 2 एमबी प्रति सेकेंड हो, जिससे स्पष्ट तस्वीर और आवाज़ अदालत तक पहुंच सके.
गर्मी की छुट्टियों से पहले हुई सुनवाई में सबसे अधिक ऑडियो-वीडियो की दिक्कत आई थी. इसके अलावा सीनियर एडवोकेट्स के अधिक टेक्नो सेवी यानी तकनीक में माहिर ना होने के कारण भी समय ज़्यादा लगता था. क्योंकि कई बार कोर्ट का लंबा समय वकील को यही समझाने में खराब हो जाता था कि माइक म्यूट है. उसे ऑन करें या फिर अकारण की चिल्लपों हो रही है. लिहाज़ा माइक म्यूट करें.
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