नई दिल्ली: आतंकियों के हमलों में मरने वाले लोगों की तादाद सड़कों के गड्ढे में गिरकर मरने वाले लोगों से कम हैं. दरअसल, सड़कों के गड्ढे आम जनता के लिए इतने ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है. गुरुवार को कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में जितने लोग आतंकी हमलों में नहीं मरते हैं, उससे ज्यादा लोग सड़कों के गड्ढे में गिरकर मर जाते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने आंकड़े दर्शाते हुए कहा कि साल 2013 से 2017 के बीच सड़कों पर गड्ढों के कारण 14926 से ज्यादा आम नागरिकों की मौत हुई है. इस पर चिंता व्यक्त करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पिछले पांच सालों में सड़कों पर हुए गड्ढों के कारण मरने वालों की संख्या सीमा पर शहीद होने वाले जवानों या आतंकियों द्वारा की गई हत्याओं से कहीं अधिक है.
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अदालत ने बताया कि वर्ष 2017 में गड्ढों ने 3,597 लोगों की जान ली थी, यानि प्रति दिन 10 लोगों की मौत गड्ढों की वजह से हुई थी.आमतौर पर दिन के उजाले में सड़कों के गड्ढे नजर आते हैं तो लोग बचते-बचाते किसी तरह निकल जाते हैं, लेकिन बारिश के दिनों में जब ये भर जाते हैं और दिखाई नहीं देते, तब इनसे बच पाना बहुत मुश्किल हो जाता है और सड़क दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या का जल्द निपटान करने के लिए भी सख्त निर्देश दिए हैं.
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