सुप्रीम कोर्ट ने 9 साल बाद बंद किया केस, जानिए क्या था 2012 का 'इतालियन मरीन' मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 9 साल बाद बंद किया केस, जानिए क्या था 2012 का 'इतालियन मरीन' मामला
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नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत ने वर्ष 2012 में इटली के दो सैनिकों के खिलाफ केरल के दो मछुआरों की हत्या के केस को बंद कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि देने और 2 करोड़ रुपए नाव मालिक को देने का आदेश दिया है. बता दें कि वर्ष 2012 में हुई इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल भी बन गया था. इंटरनेशनल कोर्ट ने इटली के नौसैनिकों के खिलाफ उनके देश में ही केस चलाए जाने का आदेश दिया था. अब इन दोनों ही नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमा इटली में चलाया जाएगा. 

केंद्र सरकार ने इससे पहले इटली सरकार द्वारा दी गई मुआवजा राशि को शीर्ष अदालत में जमा करते हुए मामले को बंद करने की गुजारिश की थी. दरअसल, यह मामला साल 2012 फरवरी का था, भारत ने दो इटली के नौसैनिकों सल्वातोर गिरोने और मासिमिलानो लतोरे पर विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मछली पकड़ रहे दो भारतीय मछुआरों का क़त्ल करने का आरोप लगाया था. घटना के समय दोनों नौसैनिक एक टैंकर शिप एमवी एनरिका लेक्सी पर सवार थे, शिप पर इटली का राष्ट्रीय ध्वज लगा हुआ था. घटना केरल के तट से लगभग 20 समुद्री मील दूर हुई, जिसके बाद भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने एनरिका लेक्सी को रोका और दोनों इटली के नौसैनिकों सल्वातोर गिरोन और मासिमिलानो लतोरे को कस्टडी में लिया था.

2013 में भारत सरकार द्वारा नौसैनिकों को वोट देने के लिए इटली वापस जाने की इजाजत दी गई थी. इटली पहुंचने पर वहां के अधिकारियों ने भारत को जानकारी देते हुए कहा था कि वो अपने सैनिकों को तब तक वापस भारत नहीं भेजेंगे, जब तक कि इस बात की गारंटी न हो कि उन्हें मौत की सजा नहीं सुनाई जाएगी. तनावपूर्ण माहौल में डिप्लोमैटिक चैनल के माध्यम से बातचीत के बाद इटली को बिना गारंटी दिए दोनों नौसैनिकों भारत आए. जिसके कुछ समय बाद लातोरे 13 सितंबर 2014 और गिरोन 28 मई 2016 को भारत से फिर इटली चले गए.

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