अयोध्या मामला: SC का वकील से सवाल, क्‍या जन्‍मस्‍थान कोई न्‍यायिक व्‍यक्ति हो सकता है?
अयोध्या मामला: SC का वकील से सवाल, क्‍या जन्‍मस्‍थान कोई न्‍यायिक व्‍यक्ति हो सकता है?
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नई दिल्‍ली: अयोध्‍या मामले में तीसरे दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान की ओर से चल रही बहस में पेश वकील के परासरन ने 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि' संस्‍कृत श्लोक का हवाला दे कहा कि जन्मभूमि बेहद महत्वपूर्ण होती है. राम जन्मस्थान का मतलब है, एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और भरोसा है. 

न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने रामलला के वकील से पूछा कि क्या एक जन्मस्‍थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है? हम एक मूर्ति को एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्‍मस्‍थान पर कानून क्या है? इस पर रामलला के वकील के परासरन ने कहा कि यह एक सवाल है जिसे निर्धारित करने की जरूरत है. न्यायमूर्ति बोबड़े ने उत्तराखंड HC के फैसले का उल्लेख किया जिसमें नदी को जीवित व्यक्ति बताते हुए अधिकार दिया गया था. 

इस दौरान सुनवाई शुरू होते ही सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी रिट याचिका का अदालत में खड़े होकर उल्लेख करना चाहा लेकिन अदालत ने उन्हें रोक दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि उचित समय आने पर उन्हें सुनेंगे. स्वामी ने याचिका में रामलला की पूजा अर्चना के अबाधित मौलिक अधिकार की मांग की है. इससे पहले बुधवार को पांच जजों की संविधान पीठ की तरफ से जस्टिस बोबड़े ने श्रीरामलला विराजमान के वकील के परासरन से पूछा कि जिस तरह राम का केस सुप्रीम कोर्ट में आया है, उस तरह क्‍या जीसस यानी ईसा मसीह, बेथलहम में पैदा हुए इस पर किसी कोर्ट में सवाल उठा था?   

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