ब्रिटेन में ई-सिगरेट को बैन कर सकती है सुनक सरकार, जानिए क्या है कारण
ब्रिटेन में ई-सिगरेट को बैन कर सकती है सुनक सरकार, जानिए क्या है कारण
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ब्रिटेन की गवर्नमेंट आज एक बड़ा निर्णय करने वाली है. ऋषि सुनक की सरकार आज ब्रिटेन में डिस्पोजेबल वेप्स यानी ई-सिगरेट को बैन करने वाली है. ऐसा नौजवानों और कम उम्र के लोगों में तेजी से इसके बढ़ते उपयोग की वजह किया जा रहा है. नई व्यवस्था के अनुसार वेप के अलग-अलग फ्लेवर पर भी प्रतिबंध होने वाला है. साथ ही सादे पैकेजिंग पर जोर दिया जाएगा ताकि यह बच्चों को कम आकर्षक लगे.

ऋषि सुनक ने बोला है कि यह हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है जहां हम 15 वर्ष या उससे कम उम्र के लोग, जो कानूनी तरीके से सिगरेट खरीद लेते हैं, उस पर पूरी तरह बैन करना चाहते हैं. सुनक सरकार का मानना है कि ऐसा करके वह अपनी देश की नई पीढ़ी के लिए एक मजबूत और अच्छी विरासत छोड़ सकते है.

हर साल धूम्रपान से 80 हजार मौतें: ब्रिटेन की यदि बात की जाए तो यहां धूम्रपान की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है. सरकार का इस बारें में बोलना है कि धूम्रपान ब्रिटेन में ऐसी समस्या बनकर उभरा है जिसका कोशिश करने पर रोकथाम संभव है. बावजूद इसके ब्रिटेन मे कैंसर से होने वाली हर 4 में से 1 मौत की वजह स्मोकिंग को ही बताया जाता है. ब्रिटेन में धूम्रपान के कारण हर वर्ष तकरीबन 80 हजार मौतें होती हैं.

अभी पिछले ही बरस की बात है, अक्टूबर का महीना था जब ऋषि सुनक की सरकार ने ये अहम निर्णय कर दिया कि कम उम्र के बच्चे तम्बाकू खरीद ही नहीं पाएंगे. सरकार ने यह व्यवस्था ब्रिटेन में पहले ही कर रखी है जहां 1 जनवरी 2009 को या उसके बाद पैदा हुआ कोई भी शख्स अपनी पूरी जिंदगी में तंबाकू नहीं खरीद पाएगा.

बच्चों में बढ़ रहा क्रेज: ये बात भी दिलचस्प है जहां वेप्स यानी ई-सिगरेट को स्मोकिंग छोड़ने की दिशा में अहम माना जाता है. लेकिन कई रिपोर्ट्स में ये चिंताएं भी इसी के साथ नत्थी पाई गई है कि ई-सिगरेट के कारण से नौजवानों में निकोटीन की लत बढ़ सकती है.

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन में 11 से 15 बरस की उम्र के लगभग 9 प्रतिशत बच्चे ई-सिगरेट का उपयोग कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की बीते वर्ष दिसंबर में आई एक रिपोर्ट याद आती है जिसमें ई-सिगरेट के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए सभी वेप फ्लेवर पर प्रतिबंध लगाए जाने की बात की बात भी की गई.

पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह: हालांकि एक दूसरा तर्क इस इंडस्ट्री में काम कर रहे लोगों और एसोसिएशन का बताया जा रहा है कि वेप्स न सिर्फ तम्बाकू की तुलना में कम जोखिम वाले हैं बल्कि इसके भांति-भांति के फ्लेवर लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए भी प्रोत्साहित करने का काम करते हैं. हालांकि ऋषि सुनक सरकार की इस पर समझ ये है कि भले आज इसके कुछ अच्छे इस्तेमाल गिनवा दिए जाएं मगर चूंकि यह लॉन्ग टर्म में हानिकारक हो सकता है, इसलिए इसका इस्तेमाल बच्चों के लिए प्रतिबंधित ही हो जानी चाहिए.

ब्रिटेन की सरकार की एक दूसरी दलील भी है और वो ये कि ई-सिगरेट पर रोक सेहत के नजरिये के साथ साथ पर्यावरण की भी दृष्टि से भी उपयोगी है. एक तथ्य यह भी है कि ब्रिटेन में हर हफ्ते कम से कम 5 मिलियन यानी 50 लाख ई-सिगरेट इस्तेमाल के उपरांत फेंके जाते हैं जो पर्यावरण की नजर से भी बहुत चिंताजनक है. ब्रिटेन की सरकार का ये निर्णय कितना असरदार होगा, वक्त बताएगा.

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