कुछ ऐसी थी शोले के ठाकुर की असल जिंदगी
कुछ ऐसी थी शोले के ठाकुर की असल जिंदगी
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बॉलीवुड में ऐसे ऐसे फनकार पैदा हुए हैं जिन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों का ना सिर्फ दिल जीता बल्कि आने वाले सितारों के लिए भी अभिनय का एक पैमाना भी सेट कर दिया। ऐसे ही एक मंझे हुए कलाकार थे संजीव कुमार जो इस दुनिया से अलविदा लेने के बाद भी अपनी कला के दम पर अमर हो चुके है। 9 जुलाई 1938 को जन्मे अभिनेता संजीव कुमार का असली नाम हरीहर जेठालाल जरीवाला था। हालांकि उन्होंने बाद में अपना नाम बदलकर संजीव रख लिया था। उनके बारे में बोला  जाता था कि वो एक ऐसे अभिनेता थे जो बिना बोले अपनी आंखों से भी अभिनय किया करते थे। यही कारण है कि उनके चेहरे के हाव भाव पर उस समय लड़किया दिल हार जाया करती थीं। संजीव कुमार का मूवी सफर और निजी जिंदगी दोनो ही काफी दिलचस्प रही। उनके बारे में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो शायद आज की पीढ़ी को शायद ही पता होगा।

शोले के 'ठाकुर' की असल जिंदगी की कहानी: संजीव कुमार सूरत में जन्में थे लेकिन सात वर्ष की आयु में उनका परिवार मुंबई आकर बस गया था। मुंबई की गलियों में कदम रखने के उपरांत एक्टिंग ने उनका ध्यान खींचने लगी। संजीव ने मूवी में एक्टिंग करने का सोचा और फिर वो स्टेज पर सक्रीय करने लगे। जिसके उपरांत वो इंडियन थिएटर से जुड़े। उनके कदम इंडस्ट्री को ओर बढ़े और सफलता उनके कदम चूमने लग गई। 

साल 1960 में आई मूवी 'हम हिंदुस्तानी' से संजीव कुमार ने बॉलीवुड में डेब्यू कर लिया था। पहली फिल्म से संजीव को कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई थी। वो छोटे मोटे रोल करते रहे, लेकिन अपने एक्टिंग से वो अपनी पहचान बनाते रहे। 1968 में रिलीज हुई फिल्म 'राजा और रंक' पर्दे पर जबरदस्त सफल हो गई। इस मूवी ने संजीव कुमार को इंडस्ट्री का स्टार बनाया। संजीव कुमार ने कम आयु मे ही उम्रदराज व्यक्ति का रोल भी अदा किया था। जहां बहुत से हीरो अपनी छवि बिगड़ जाने के डर से ऐसे किरदार से खुद को दूर रखते थे तो वहीं संजीव कुमार बस अभिनय पर ध्यान देते थे। जब वो महज 22 वर्ष के थे तो उन्होंने एक नाटक में बूढ़े व्यक्ति का किरदार अदा किया था। कितनी बार मूवी में भी वो हमउम्र हीरो के पिता का रोल निभाते थे, लेकिन हर बार उनकी एक्टिंग इतना शानदार होता कि वो हीरो पर ही भारी नजर आते थे।

संजीव कुमार के परिवार में बोला  जाता था कि उनके घर का कोई पुरुष 50 वर्ष से अधिक का जीवन नहीं जी पाई थी। उनके छोटे भाई नकुल का निधन उनसे पहले ही हो चुका था। उसके 6 महीने बाद उनके बड़े भाई किशोर का भी देहांत। संजीव कुमार भी महज 47 साल के थे जब वो इस दुनिया से चल बसे। 6 नवंबर 1985 को संजीव कुमार हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए, लेकिन अपने पीछे ऐसी यादें छोड़ गए जिन्हें कभी नहीं भुलाया नहीं जा सकता है।

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