जिनके चमत्कारों को दुनिया ने किया सलाम
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बेंगलोर। आपने भगवा रंग के वस्त्रों में और घुंघराले व गले व कानों को ढाकने, वाले लंबे बाल रखने वाले एक व्यक्तित्व को देखा होगा। इस व्यक्तित्व के चेहरे पर शांति, मुस्कुराहट के भाव भी आपने देखे होंगे। जी हां, इतने वर्णन से आपकी आंखों के सामने एक तस्वीर उभरकर सामने आ रही होगी। आप कहेंगे यह तो सत्यसांई बाबा हैं, यू ट्युब पर श्री सत्य सांई बाबा द्वारा एक पात्र से विभूति निकालकर शिरडी के श्री सांई बाबा की छोटी सी मूर्ति का अभिषेक किए जाने का वीडियो तो आपने कई बार देखा होगा, यह वीडियो देखकर आपको बेहद आश्चर्य हो रहा होगा।

आखिर इस तरह से विभूति कैसे निकल रही है। आज गुरूवार के दिन पूज्य श्री सत्यसांई बाबा का स्मरण उनके अनुयायियों और भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उनके भक्तों के लिए आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 1926 में आज ही के दिन उन्होंने इस धरती पर जन्म लिया था।

उनका जन्म आंध्रप्रदेश के पुट्टापर्थी गांव में 23 नवंबर 1926 के दिन हुआ था। उनके बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। माना जाता है कि वे शिरडी के श्री सांई बाबा का ही अवतार थे। श्री शिरडी सांई बाबा को लेकर यह मान्यता प्रचलित है कि, उन्होंने अपनी महासमाधि से पूर्व कहा था कि, इस दुनिया से उनके चले जाने के 8 साल बाद फिर एक अवतार होगा, जो उनका ही स्वरूप होगा और स स्वरूप के बाद दूसरा अवतार होगा जो कि प्रेम सांई के रूप में जाना जाएगा। हालांकि हम चर्चा कर रहे हैं श्री सत्यसांई बाबा को लेकर। उन्होंने पुट्टापर्थी के दीन -हीन लोगों के जीवन में उजाला किया।

उनके जीवन में प्रसन्नता भर दी। इसके पहले बालक सत्यनारायण राजू ने कइ कविताऐं और नाटक लिखे, इस बालक ने नाटक, संगीत, नृत्य आदि किया। पहले पहल बाल की भजन गायकी की सीडी प्रसारित हुई। धीरे - धीरे श्री सत्यसांई बाबा के अनुयायी बढ़ने लगे और उनकी कीर्ति विश्व में फैलने लगी। कई लोकप्रिय हस्तियां उनसे जुड़ने लगीं और उनके दर्शनों के लिए, बड़े पैमाने पर लोग पहुंचने लगे। कुछ समय बाद बेंगलोर में 220 बेड वाले सुपर स्पेशलिटी सत्य सांई इंस्टीट्युट आॅफ हायर मेडिकल साइंस की स्थापना हुई।

बाद में इस नगर के बाहरी क्षेत्र में 333 बेड वाला सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय प्रारंभ हुआ। बाद में सत्य सांई विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। जिसने शिक्षा का प्रसार देशभर में किया। अब देश के कई क्षेत्रों में सत्य सांई ट्रस्ट चिकित्सालय और शिक्षा केंद्र संचालित करता है। उन्होंने भारत में तीन मंदिर स्थापित किए थे। जो कि मुंबई में धर्मक्षेत्र, हैदराबाद में शिवम और चेन्नई में सुंदरम के तौर पर जाने जाते हैं।

वे बेहद लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरू थे। उन्हें लेकर कहा जाता था कि वे पानी पर चलने, कोई भी वस्तु प्रकट कर उसे अपने अनुयायियों और भक्तों को देने में कुशल थे। इन बातों को लेकर कुछ लोगों ने उनसे विवाद किया था और उन्हें चुनौतियां दी थीं मगर उन्होंने इन चुनौतियों को लेकर विनम्रतापूर्वक इतना ही कहा था कि जहां विज्ञान की पहुंच समाप्त हो जाती है वहीं से आध्यात्म कार्य करता है।

इसे समझ पाना बेहद कठिन है। लोक कल्याण में रत श्री सत्य सांई बाबा 24 अप्रैल 2011 को महासमाधि में लीन हो गए। उन्होंने अपनी महासमाधि के पहले विदेशों में भी भारत के आध्यात्म का लौहा मनवा लिया था। कई विदेशी उनके अनुयायी और श्रद्धालु बन गए थे। श्री सत्यसांई बाबा को अपनी महासमाधि के पूर्व 1963 में चार बार गंभीर हृदयाघात का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2005 से वे व्हीलचेयर पर बैठकर अपने श्रद्धालुओं के बीच पहुंचते थे। दरअसल वर्ष 2006 में उनके कूल्हे में फ्रैक्चर हो गया था।

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