ज्योतिष शास्त्र की प्राचीन विद्या वास्तुशास्त्र, जो आजकल भारतीयों के बीच सबसे ज्यादा है प्रचलित है, में ऊर्जाओं को विस्तार से समझाता गया है. इस शास्त्र के जरिए हम यह समझने में सफल होते हैं कि हमारे आसपास बहने वाली तरंगें हम पर क्या प्रभाव करने वाली हैं.
1-कभी भी रात को सोते समय व्यक्ति को उत्तर दिशा की ओर सिर और दक्षिण दिशा की ओर पांव नहीं करने चाहिए.
2-यदि आप सोते समय दक्षिण की ओर पांव कर के सोए हैं तो इसका मतलब है आप यमलोक की ओर जा रहे हैं. हिन्दू धर्म में जब भी किसी की मृत्यु होती है तो उसके पार्थिव शरीर को ज़मीन पर रखा जाता है.
3-ज़मीन पर रखने पर हमेशा उसका सिर उत्तर तथा पांव दक्षिण की ओर रखे जाते हैं. क्योंकि मरने के बाद उसकी रुह को यमलोक की ओर रवाना होना होता है. इसके अलावा व्यक्ति के मरने के बाद उसकी फोटो को भी घर की उस दीवार पर लटकाया जाता है जो दक्षिण दिशा में बनी हो.
4-दक्षिण दिशा की ओर पांव कर के ना सोने के आध्यात्मिक कारणों के साथ वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं. कहते हैं कि हमारा सिर चार अहम दिशाओं में से उत्तर दिशा को दर्शाता है और यदि हम उत्तर दिशा में ही सिर रखकर सोएंगे तो समान दिशाएं एक दूसरे पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं.
4-जब हम सोते हैं तो हम धरती की मैग्नेटिक फील्ड से ज़ुड़ जाते हैं. विज्ञान की राय में जब अलग प्रकार की दिशाएं एक दूसरे के सामने हों तो वे एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं.