मोदी से कुछ और भी 'मन की बात'
मोदी से कुछ और भी  'मन की बात'
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'मन की बात' के 13 वे संस्करण में देर से ही सही पर मोदी को भारत में हो रही अंग तस्करी के बारे में याद आ गई. सीधे तोर पर अंग तस्करी की बात न करते हुए 'अंगदान महा दान' का नारा दे दिया. लगातार बढाती हुई चिकित्सीय मांग के कारण इंसानी अंगो की अवेद तस्करी वैश्विक स्तर पर बढ़ी है. पर भारत भूटान नेपाल बांग्लादेश अफ्रीका जैसे विकासशील या अविकसित देशो में घातांकीय प्रभाव पड़ा है.

पुरे विश्व में लाखो लोग अंग प्रत्यारोपण का इंतज़ार कर रहे है. जिन मरीज़ो के पास पेसो की ताकत होती है वो अंग खरीद लेते है बाकि मांग पूरी न होने से मर जाते है. हिंदुस्तान में 10 लाख की आबादी पर मात्र 0.16 ही अंग दान करते है तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 1.15 मतलब 10 लाख में सिर्फ 1 व्यक्ति अंग दान करता है जो मांग के मुकाबले शुन्य है. आकड़ो पर नज़र डाले तो 120000 मरीज़ US में अंग दान का इंतज़ार कर रहे है. लगभग 19  मरीज़ हर दिन मर जाएँगे(सालाना 6000). भारतीय अकड़े प्रबंधन की कमी से भटकाने वाले. 
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भारत के लिए विकल्प 
1. भारत की स्थिति इतनी ख़राब है की यहाँ सरकार की तरफ से कोई भी 'ऑनलाइन डोनर रजिस्ट्री' नहीं है. हर देश मे डोनर रजिस्ट्री में देखा जा सकता है की किस जगह किस अंग की मांग है और कितने डोनर उपलध है. 'डोनर रजिस्ट्री' की निम्न जिम्मेदारी होती है. 
अंगो की खरीद और वितरण रिकॉर्ड 
दाता अंगो स्क्रीनिंग
अंगो का भंडारण, संगरक्षण 
अंगो की प्रयोगशाला स्क्रीनिंग
डेटा संरक्षण और गोपनीयता
अंगो में गुणवत्ता प्रबंधन
अंगो पर रोगी सूचना, दिशानिर्देश, प्रोटोकॉल और मानक संचालन प्रक्रियाओं के विकास
प्रशिक्षण, 
अन्य ऊतकों बैंकों के पंजीकरण में आवश्यकता के अनुसार सहायता करना.
रजिस्ट्री का ऑनलाइन और आम नागरिको की पहुंच में. जिसे भी अंग दान करना हो या प्राप्तकरना हो वो सरकारी पोर्टल पर दोनों ही आवेदन कर सके और प्राथमिकता के अनुसार प्राप्त करसके.   

2. भारत को ईरान जैसे देशो से सिखने की ज़रूरत है जहा सरकार के तरफ से सब्सिडी दी जाती और अब अंग प्रत्यारोपण के लिए अंगो की कोई कमी नहीं है, न ही तस्करी. पर भारत के लिए इस्राइल की नीति ज़्याद उपयुक्त है, इस्राइल में हर अंग प्राप्तकर्ता को या परिचित को अपने अंग दान करना अनिवार्य होते है. इस और कड़े शब्दों में कहे तो हर परिवार से 1 पर कुछ सालो के लिए.  

3.मांग और आपूर्ति में समन्वय:  जो PM मोदी करना चाहते है. अर्थशास्त्र का नियम है की आवश्यक वास्तो की मांग बढ़ने से उनकी कीमत भी बढ़ जाती है अगर अंग प्रचुर मात्र में उपलब्ध होंगे तो आपूर्ति अंकित मूल्य पर की जा सकेगी और उपलब्धता के कारण तस्करी खुद रुक जाएगी. प्रधान मंत्री होने के नाते केवल अंग दान की अपील और वो भी बिना किसी घोषणा के हजम करना मुश्किल है.

4. कृत्रिम अंगों का विकास: प्रौद्योगिकी के विकास के चलते ये संभव है की अंगो को प्रयोग शाला  में बनाया जाए पर समय और लागत में यहाँ उपाए तब ही कारगर   होगा जब ये बड़े पैमाने पर हो. ये उपाए असंभव नहीं और सभी विकसित इस समानांतर विकल्प को भी अपना रहे है. 

भारत में मानव अंगों प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम 2011 के अंतर गत अंग दान होता है. इस क़ानून के मुताबिक अंग दाता के प्राक्रतिक मृत्यु के बाद विभिन अंगो को दान किया जा सकता है. हर अंग की एक समय सीमा होती है जिसमे अंग दान हो जाना चाहिए, जैसे आखो की २ घंटे समय सीमा है. अंग दाता का अंग प्राप्तकता से सम्बन्ध होना ज़रूरी होता है. जिस से अंग तस्करी न हो पर नैतिक भ्रष्टाचार के कारण कागज़ी सम्बन्ध बनाने में समय नहीं लगता. 


महत्वपूर्ण जानकारी 
हर वयस्क एक अंग दाता हो सकता है।  माता-पिता की सहमति देने पर बच्चा भी अंग दाताओं हो सकता है।

100 साल तक: कॉर्निया, त्वचा
70 साल तक: गुर्दे, जिगर
दिल, फेफड़े - 50 वर्ष तक
हृदय वाल्व - 40 वर्ष तक

अंग जो दान कर सकते है. 
दिल 
लिवर 
गुर्दे -
फेफड़ों 
अग्न्याशय 

ऊतक जो दान कर सकते है 
कॉर्निया 
त्वचा
हृदय वाल्व 
हड्डियों

कैसे करे अंग दान 
बस एक निशुल्क 'दाता कार्ड' बनवाए जो आपकी मृत्यु के बाद आपकी अंग दान की इच्छा को दिखात है और उसे हमेशा अपने साथ रखे. हल में ये NOTTO की वेबसाइट http://notto.nic.in/Admin/Login.aspx से बनाए जा सकते है. एक दाता कार्ड ले जा रहे एक व्यक्ति के मस्तिष्क मृत्यु के बाद, परिवार के अंगों के दान की अनुमति से अंग दान हो सकता है. एक अंग के विभिन हिसो हो अलग अलग मरीज़ो में प्रतियारोपित किया जाता है. मतलब एक अंग से कईयों की जान बचाई जासकती  है. 

'हिमांशु मुरार'

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