सिस्टर निवेदिता का जन्म 28 अक्तुबर 1867, डंगनॉन टायरान (आयरलैंड) में हुआ था .भगिनी निवेदिता एक ब्रिटिश-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखिका, शिक्षक एवं स्वामी विवेकानन्द की शिष्या थीं। उन्होंने बचपन में अपने माता और शिक्षकों से जीवन के अमूल्य पाठों को सीखा उनकी इसी सेवा भावना और त्याग के कारण उन्हें भारत में बहुत आदर और सम्मान दिया जाता है और देश में जिन विदेशियों पर गर्व किया जाता है उनमें भगिनी निवेदिता का नाम शायद सबसे पहले आता है।
जब मार्गरेट 10 साल की थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया जिसके पश्चात उनकी नानी हैमिलटन ने उनकी देख-रेख की थी.मार्गरेट नोबल नवम्बर 1895 में स्वामी विवेकानंद से मिलीं जब वे अमेरिका से लौटते वक़्त लन्दन में 3 महीने के प्रवास पर थे। मार्गरेट उनसे अपने एक महिला मित्र के घर पर मिलीं जहाँ वे उपस्थित व्यक्तियों को ‘वेदांत दर्शन’ समझा रहे थे। वे विवेकानंद के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुईं और इसके बाद उनके कई और व्याख्यानों में गयीं। इस दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद से ढेरों प्रश्न किये जिनके उत्तरों ने उनके मन में विवेकानंद के लिए श्रद्धा और आदर उत्पन्न किया.स्वामी जी के सिद्धांतों का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा.स्वामी विवेकानंद के कहने पर मार्गरेट अपने परिवार और मित्रों को छोड़ 28 जनवरी 1898 को कोलकता पहुँच गयीं। शुरुआत में विवेकानंद ने उन्हें भारतीय सभ्यता, संस्कृति, दर्शन, लोग, साहित्य और इतिहास से परिचित करवाया.
सिस्टर निवेदिता की मृत्यु 13 अक्टूबर 1911 को दार्जीलिंग स्थित रॉय विला में हुई। उनका
स्मारक रेलवे स्टेशन के नीचे विक्टोरिया फाल्स (दार्जीलिंग) के रास्ते में स्थित है।
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