उज्जैन : सिंहस्थ को लेकर चलने वाले निर्माण कार्यों की जिस तरह से गति दिखाई दे रही हैं, उससे उज्जैन के आला अधिकारियों की चिंता तो बढ़ी हुई है ही सरकार के नुमांइदे भी कम परेशान नहीं है। इसी तारतम्य में मंगलवार को अधिकारियों ने न केवल सिंहस्थ क्षेत्रों का दौरा किया वहीं मंथर गति से चलने वाले निर्माण कार्यों को लेकर चिंता भी प्रकट की। अधिकारियों ने अपने दौरे का प्रारंभ सांवराखेड़ी से किया और इसके बाद वे सिंहस्थ के विभिन्न इलाकों में पहुंचे और व्यवस्थाओं की संभावना को जांचा।
दिसंबर तक कार्य करने की बात-
हालांकि दिसंबर तक हर संभव कार्य पूरे होने की बात जोरशोर से की जा रही है लेकिन यह प्रतीत नहीं होता है कि अधिकांश कार्य दिसंबर तक हर हालत में पूरे हो जाएंगे। खैर यह अधिकारी जाने और संबंधित कार्य करने वाले ठेकेदार, लेकिन हम या हमारे नागरिक तो बस इतना ही चाहते है कि कार्य जल्द से जल्द पूरे हो जाए। रही बात उस मामले की जिसमें नए निर्माण कार्य करने की बात हो रही है और इनके लिए विभागीय स्वीकृति दी जा रही है।
अब नहीं समय नये कार्यों के लिए -
यहां यह लिखते हुए कोई गुरेज नहीं है कि अब इतना समय नहीं बचा है कि नए कार्यों की शुरूआत की जाए। जो कार्य पिछले साल भर से चल रहे है उनमें से ही आधे से अधिक पूरे नहीं हो सके है तो फिर नए निर्माण कार्यों को क्या सिंहस्थ निपटने के बाद पूरा करेंगे, यह विचारणीय प्रशन ही कहा जाएगा कि क्या यह सोचा नहीं जा रहा है कि नए निर्माण कार्यों को प्रारंभ करने का औचित्य नहीं है, सिंहस्थ प्रारंभ होने में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हुए है।
नासिक कुंभ के बाद लगने लगेंगे डेरे - वैसे तो सिंहस्थ 2016 के अप्रैल माह से विधिवत रूप से प्रारंभ होगा लेकिन संत महात्माओं के डेरे तो नासिक कुंभ समाप्ति के बाद से ही उज्जैन में लगना प्रारंभ हो जाएंगे अर्थात अगस्त अंत या सितंबर के प्रथम सप्ताह तक तो अधिकांश संत महात्माओं के तंबू गाढ़ने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। संत महात्माओं के आगमन के बाद प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी व्यवस्था में जुटना होगा वहीं भूमि आवंटन की भी प्रकिया जोरशोर से जारी रहेगी। ऐसे में नए निर्माण कार्यों पर क्या अधिकारियों का ध्यान रहेगा, संभवतः कदापि नहीं, लिहाजा हमारी तो यही राय है कि जो कार्य चल रहे हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए और नए कार्यों को प्रारंभ करने की बजाए ऐसे कार्य किए जाए जो सिंहस्थ के लिए आवश्यक प्रतीत हो रहे।