हरिद्वार में शांतिकुंज के डॉ. प्रणव पण्ड्या के खिलाफ दर्ज किए गए दुष्कर्म के मुकदमे में हरिद्वार पुलिस पॉक्सो एक्ट बढ़ाने पर मंथन कर रही है। क्योंकि, तहरीर में पीड़िता ने घटना के वक्त खुद को नाबालिग दर्शाया था, लेकिन पॉक्सो एक्ट इसके बाद आया। इसके साथ ही हाई प्रोफाइल केस की जांच के लिए रविवार को दिनभर पुलिस के उच्चाधिकारियों के बीच मंथन चला।वहीं, कोतवाली पुलिस ने केस से जुड़े सभी दस्तावेज जांच अधिकारी मीना आर्या को सौंप दिए। पुलिस अब पीड़िता से संपर्क करने का प्रयास कर रही है। 60 दिन में मामले की जांच पूरी करनी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की छत्तीसगढ़ की 25 वर्षीय युवती ने डॉ. प्रणव पण्ड्या के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए दिल्ली के विवेक विहार थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। यही नहीं, डॉ. की पत्नी पर भी मुंह बंद करने की धमकी देने का आरोप लगाया था।चूंकि, तहरीर में युवती ने घटनास्थल शांतिकुंज बताया था, इसलिए दिल्ली पुलिस ने दोनों के खिलाफ जीरो एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश के लिए हरिद्वार भेज दिया था। शनिवार को एसएसपी ने मुकदमे की जांच के लिए मीना आर्या को नामित किया था।
हरिद्वार कोतवाली पुलिस ने रविवार को मुकदमे से जुड़े सभी दस्तावेजों को जांच अधिकारी मीना आर्या को सौंप दिए। वहीं सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 2010 में जब की घटना है, तब पीड़िता नाबालिग थी। लिहाजा मुकदमे में पॉक्सो एक्ट बढ़ाने को लेकर पुलिस असमंजस में है। इसकी एक वजह, पॉक्सो एक्ट का वर्ष 2012 में लागू होना है।लिहाजा मामले में विधिक राय लेने की भी बात चल रही है। साथ ही जांच आगे बढ़ाने के लिए पीड़िता से संपर्क की कोशिश की जा रही है। वहीं, कोतवाली प्रभारी प्रवीण कोश्यारी ने बताया कि दिल्ली में केस दर्ज कराने के बाद पीड़िता ने मेडिकल परीक्षण नहीं कराया। इस संबंध में उसने बाकायदा लिखित में भी दिया है।
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