आप सभी को बता दें कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है और इस बार शनि जयंती 3 जून को है. ऐसे में 3 जून को शनि जयंती, अमावस्या और वट सावित्री व्रत तीनो ही है. इस कारण से इस खास योग में साढ़ेसाती, शनि के ढैया या महादशा से जूझ रहे लोगों के कष्ट इस दिन हमेशा के लिए दूर हो सकते हैं. जी हाँ, वैसे तो हर साल शनिदेव का जन्मोत्सव हिंदू कैलेंडर के मुताबिक ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है. वहीं सूर्य पुत्र भगवान शनि न्याय के देवता है और सभी 9 ग्रहों में शनि ग्रह का विशेष महत्व है.
कहते हैं शनि जयंती के दिन शनि देव को प्रिय काली चीजें जैसे काली उड़द, काले कपड़े आदि अर्पित कर सकते हैं. इसी के साथ ऐसा भी कहा जाता है कि शनि जयंती पर किसी मंदिर में बैठकर शनि स्त्रोत का पाठ करना बहुत उत्तम रहता है क्योंकि इस काम को करने से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं. इसी के साथ शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें इससे भी लाभ होगा. कहते हैं शनिवार को काला तिल और गुड़ चीटों को खिलाना चाहिए क्योंकि इससे भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
ऐसे करें पूजन : इस दिन स्नानादि से शुद्ध होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिजी की प्रतिमा या फोटो या एक सुपारी रख उसके दोनों ओर शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं. अब इसके बाद शनि स्वरूप के प्रतीक को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराकर उनको इमरती, तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य लगाएं. ध्यान रहे कि नैवेद्य से पहले उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम और काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें. उसके बाद नैवेद्य अर्पण करके फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करें.
शनिदेव को प्रसन्न करेंगी ये 8 चीजें, इनमे से कोई एक भी दान कर सकते हैं -1. काले तिल, 2. तेल, 3. काला वस्त्र,4. देसी गुड़, 5. काली उड़द, 6. नीले फूल, 7. इमरती 8. मीठे पुए.
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