आखिर क्यों शाहरुख़ ने लता मंगेशकर के लिए दुआ मांगकर मारी फूंक, जानिए वजह?
आखिर क्यों शाहरुख़ ने लता मंगेशकर के लिए दुआ मांगकर मारी फूंक, जानिए वजह?
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स्वर कोकिला लता मंगेशकर इस दुनिया में नहीं है। उन्होंने बीते कल यानी रविवार को (6 फरवरी 2022) को दुनिया को अलविदा कह दिया। वहीं इस दौरान बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान जब लता दीदी को आखिरी सलाम देने पहुंचे तो दुआ में उनके दोनों हाथ उठे। जी दरअसल शाहरुख ने खुदा से लता दीदी की आत्मा की शांति के लिए दुआ की। इसी के साथ उन्होंने दुआ पढ़कर मास्क हटाया और फूंक भी मारी। हालाँकि कई लोगों ने फूंक को थूक न नाम दे डाला। आपको बता दें कि लता दीदी को शाहरुख का ये आखिरी सलाम भी चर्चा का विषय बन गया है। ऐसे में किसी ने शाहरुख़ की तारीफ में कसीदे पढ़े तो किसी ने 'फूंक मारने' को 'थूकना' बताकर एक नई बहस छेड़ दी। अब इन सभी के बीच सवाल ये है कि आखिर शाहरुख ने जो किया वो क्या था? तो हम देते हैं इसका जवाब।

जी दरअसल इस्लाम में फूंक मारने की परंपरा है। इस्लामिक परंपरा के मुताबिक, जब कोई दुआ की जाती है तो उसके लिए दोनों हाथों को उठाकर सीने तक लाना होता है और अल्लाह से मिन्नतें की जाती हैं। वहीं इस दौरान किसी के स्वस्थ होने की दुआ, किसी की नौकरी की दुआ, या किसी आत्मा की शांति के लिए दुआ।।।दुआ कुछ भी हो सकती है। जी हाँ और दोनों हाथ फैलाकर दुआ मांगने की तस्वीरें फिल्मों में भी नजर आ जाती हैं। ठीक ऐसा ही शाहरुख ने लता दीदी के पार्थिव शरीर के सामने किया। इस दौरान उन्होंने जरूर लता दीदी की रूह को सुकून मिलने की दुआ की होगी, जैसा कि लता दीदी के लाखों-करोड़ों फैंस कर रहे थे। वहीं शाहरुख जब अपने दोनों हाथ फैलाकर दुआ कर रहे थे तब उनके चेहरे पर ब्लैक मास्क था। करीब 12 सेकंड तक उन्होंने दुआ की और फिर मुंह से मास्क हटाया।

मास्क हटाकर वो हल्का सा झुके और लता दीदी के पार्थिव शरीर पर फूंक मारी। आप सभी को बता दें कि फूंक मारना दुआ का बड़ा आम तरीका है। हमने और आप सभी ने भी मस्जिदों या दरगाहों पर ऐसे दृश्य देखे होंगे जब कोई मां-बाप अपने बच्चे के लिए मुफ्ती या मौलाना से दुआ करा रहे होते हैं, वो दुआ करते हैं और फिर बच्चे के ऊपर फूंक मारते हैं। वहीं तंत्र-मंत्र विद्या में भी फूंक मारने का तरीका अपनाया जाता है। इस बारे में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली का कहना है कि आम तौर पर जब कोई बीमार होता या किसी को नजर लग जाती है तो उसकी हिफाजत के लिए, उसके ठीक होने के लिए दुआएं पढ़कर दम किया जाता है।

दुआ पढ़कर फूंक मारने को 'दम' करना भी कहते हैं। यानी अगर किसी बीमार के लिए कोई दुआ की गई है तो उस दुआ को पढ़कर, बीमार के ऊपर फूंक मारी जाती है। कहा जाता है कि ये उस दुआ के असर को बीमार के शरीर तक पहुंचाने का एक तरीका है। यानी दुआ में कुरान की जिस आयत को पढ़ा जाता है, उसका असर उस इंसान तक पहुंचाने का ये एक तरीका है। हालांकि, ये जरूरी नहीं है कि अगर दुआ पढ़कर फूंक मारी जाए तभी असर होता है, लेकिन ये भी दुआ का एक तरीका है।

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