कश्मीर : जम्मू कश्मीर पर फिर से आतंकवाद का साया मंडरा रहा है. खबर है की जम्मू-कश्मीर में दूरसंचार टॉवरों पर बार-बार हमलों और दक्षिण कश्मीर में आतंकवादी संगठनों खासकर प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिद्दीन में युवकों की नई भर्ती से सुरक्षा प्रतिष्ठान में खतरे की संभावना है. जानकारी के अनुसार, कश्मीर घाटी के पिछले तीन महीने के घटनाक्रमों की सूक्ष्म निगरानी से पता चला है कि 26 लड़के खासकर दक्षिण कश्मीर के लड़को ने आतंकवादी संगठनो से अपना नाता जोड़ा है. मुख्य तौर पर दूरसंचार टॉवरों पर हाल के आतंकवादी हमलों पर सूत्रों ने कहा कि यह पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिद्दीन के बीच आपसी विवाद का परिणाम है.
वैसे हिजबुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन ने इन हमलों में अपने संगठन का नाम आने पर कहा कि इसमें हमारा कोई भी हाथ नहीं है और हम इससे किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं रखते. लेकिन सूत्रों कि माने तो लश्कर-ए-इस्लाम उसका सहायक गुट है और यह सम्पूर्ण अभियान उसके स्वयंभू कमांडर कयूम नजरवाला का है. तथ्यों को आपस में जोड़ते हुए सूत्र इस परिणाम पर पहुंचे कि इस हिजबुल मुजाहिद्दीन संगठन ने एक निजी दूरसंचार कंपनी के दो मोबाइल टॉवरों पर अपने रिपीटर स्थापित कर दिए है. इन रिपीटरों से सिग्नल की फ्रीक्वेंसी में वृद्धि हो गई और उसका इस्तेमाल यह आतंकवादी संगठन सिग्नलों को भेजने के लिए अपने रेडियो सेट पर कर रहा है.
जब सुरक्षा बलों ने एक रिपीटर को अपने कब्जे में ले लिया, तब इस आतंकवादी संगठन ने उस व्यक्ति को धमकाना शुरू कर दिया , जिसकी जमीन पर मोबाइल फोन टॉवर लगा रखा था. उसके बाद श्रीनगर से 60 किलोमीटर दूर पूरे सोपोर इलाके में पोस्टर चिपकाए गए और 23 मई से लेकर एक जून तक छह आतंकवादी हमले हुए, जिनमें दो लोगों की मौत हो गयी और चार व्यक्ति घायल हो गए. खबर है की, अब तक इस सिलसिले में आठ लोग हिरासत में ले लिए गए है, लेकिन हमलो की कोई जानकारी अभी तक नहीं मिल पायी है. अधिकारी सुराग पता करने में जुटे हुए है.
भर्ती हुए नए लड़कों को अभी तक प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नहीं पहुचाया गया है. भर्ती किये गए लड़को को ग्रेनेड दागने, छोटे हथियारों से गोलीबारी करने समेत मूलभूत प्रशिक्षण दक्षिण कश्मीर के त्राल में ऊंचाई वाले स्थानों पर और उत्तर कश्मीर के जंगलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सुचना है कि श्रीनगर में पिछले महीने दूरसंचार ऑपरेटरों पर हमले और दक्षिण कश्मीर में सीआरपीएफ जवानों की हत्या के पीछे इसी गुट के होने की अटकलें लगायी जा रही है.