मिल गया कोरोना का स्थायी इलाज ! वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता
मिल गया कोरोना का स्थायी इलाज ! वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी को दुनिया में कहर बरपाते हुए दो साल होने आए हैं, किन्तु अभी तक इसका कोई मजबूत इलाज नहीं मिला है. पूरे विश्व के वैज्ञानिक इसके लिए स्थाई उपचार खोजने में लगे हुए हैं. एक ऐसी दवा जो कोरोना वायरस के संक्रमण को केवल रोके ही नहीं, बल्कि उसे समाप्त कर दे. अब वैज्ञानिकों ने समुद्र में की तलहटी में एक ऐसे पदार्थ का पता लगाया है, जो कोरोना का स्थाई उपचार बन सकता है. यह समुद्र के अंदर बड़े पैमाने पर मौजूद है. 

अब लोगों के जेहन में सवाल उठ रहा है कि क्या दवा धरती पर मौजूद नहीं है. इस पर वैज्ञानिक कहते हैं कि पेनिसिलीन (Penicillin) चिकित्सा के इतिहास की सबसे बड़ी डिस्कवरी थी. यह प्राकृतिक तौर पर मौजूद एंटीबायोटिक है. किन्तु इससे उपचार का तरीका किसी को पता नहीं था. जब मालूम चला तो इतिहास ही बदल गया. इसलिए अब कोरोना को हराने के लिए हमें ऐसा एंटीवायरल चाहिए, जो प्राकृतिक तौर पर बड़े पैमाने पर मौजूद हो. समुद्री जीव-जंतुओं से मिले पदार्थों से उपचार करने के लिए अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने अपनी मंजूरी दे दी है. इनमें से कई पदार्थों क्लीनिकल ट्रायल्स के अलग-अलग चरणों में हैं. ऐसा ही एक पदार्थ हाल ही में वैज्ञानिकों को समुद्र के भीतर मिला है. यह पदार्थ समुद्री एल्गी, स्क्विड और मछलियों में पाया जाता है. इसे मरीन सल्फेटेड पॉलीसैकेराइड्स (Marine Sulphated Polysaccharides - MSPs) कहते हैं.  

मरीन सल्फेटेड पॉलीसैकेराइड्स एक खास किस्म का कार्बोहाइड्रेट है, जिसके अंदर सल्फर (Sulphur) प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. ये सल्फर समुद्री एल्गी या सीवीड्स की कोशिकाओं की बाहरी दीवारों में भरा होता है. ये कुछ मछलियों और मैनग्रूव पौधों में भी मिलता है. MSPs पदार्थ को लेकर वैज्ञानिक निरंतर प्रयोग कर रहे हैं. इसने हर्पिस सिम्प्लेक्स वायरस, HIV, चिकनगुनिया, साइटोमेगालोवायरस, इंफ्लूएंजा और हेपटाइटिस वायरस के खिलाफ अच्छा असर दिखाया है.  

जब MSPs के रसायनिक कणों का 3D कंप्यूटर मॉडल तैयार किया गया, तो यह पता चला कि यह कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को खत्म कर देता है. यानी कोरोना वायरस को नष्ट कर देता है. MSPs के जैसे ही एक रसायन होता है हीपैरिन (Heparin). अब तक की जांच में यह कोरोना वायरस के खिलाफ बेहद दमदार पाया गया है. यह कोरोना वायरस में मौजूद स्पाइक प्रोटीन को बांध देता है. यह कोरोना वायरस को कोशिकाओं में घुसने से रोकता है. लेकिन दिक्कत यह है कि हीपैरिन खून को पतला करने वाली दवा है. इसलिए यह कोविड मेडिसिन के रूप में उपयुक्त नहीं है. जो 45 MSPs खोजे गए हैं, उनमें से 9 में हीपैरिन जैसी विशेषताएं हैं, जिसकी वजह से वो कोरोना की असरदार दवा बन सकती है. इन 9 पदार्थों से भविष्य में कोरोना के लिए स्थाई दवा या वैक्सीन तैयार की जा सकती है.

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