SC जज का बाबरी केस से खुद को हटाना संदेहजनक, होगी जांच
SC जज का बाबरी केस से खुद को हटाना संदेहजनक, होगी जांच
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बाबरी केस का नाम सामने आते ही एक भयानक मंजर आँखों के सामने आ जाता हैं. आज कितने सालों से जनता उस एक मामले के फैसले का इन्तजार कर रही हैं. किन्तु उस मामलें का फैसला आने का कोई भी आसार नजर नही आ रहा हैं. इस फैसले की सुनवाई कर रहे विशेष अदालत के जजों में से एक जज नें अचानक ही खुद को इस मामलें से अलग कर दिया हैं. 

जस्टिस अरुण मिश्रा के साथ इस मामले की सुनवाई करने वाले और बेंच के प्रमुख गोपाल गौड़ा नें इस मामलें की सुनवाई से खुद को अलग कर दिया हैं. अब इस केस को नई बैंच को सौंपा जायेगा. सीबीआई के अनुसार सुप्रीम कौर्ट किसी भी प्रकार का निर्णय लेने में सक्षम हैं. उसपर किसी का भी दवाब नही हैं. हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अलग-अलग याचिका दी है.

दोनों याचिकाओं में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 20 मई 2010 के फैसले के द्वारा 18 लोगों पर से आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) हटाए जाने को चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को ही बरकरार रखा था.

बाबरी  मस्जिद से जुड़े मामलें में सुप्रीम कौर्ट नें कई नेताओं से भी जवाब तालब किया था. जिनमें आडवाणी, जोशी, उमा भारती और 16 अन्य लोगों का जवाब मांगा था. शिवसेना के संस्थापक प्रमुख बाल ठाकरे, अशोक सिंघल और वीएचपी के नेता गिरिराज किशोर की अब मौत हो चुकी है. इसके अलावा जिन लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के केस हटाए गए थे उनमें विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, सतीश प्रधान, सी आर बसंल, साध्वी ऋतंभरा, महंत अवैद्यनाथ, आर वी वेदांती, परमहंस रामचंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा, नृत्य गोपालदास, धर्म दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे शामिल हैं. जज का अचानक ऐसे केस को छोड़ देना समझ से परे हैं जिनकी जांच भी की जा सकती हैं.

 

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