नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक मुस्लिम महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र से पूछा कि कब तक तलाक...तलाक...तलाक...चलेगा। जस्टिस अनिल आर दवे और एके गोयल ने वरिष्ठ वकील अमित सिंह और बाला जी श्रीनिवासन की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किया।
शायरा बानो ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रावधानों को गैरकानूनी औऱ असंवैधानिक बताया था। महिला का आरोप था कि शादी के बाद उसके पति ने उशके साथ बदसलूकी की औऱ बाद में खुद ही उसे तलाक दे दिया। इसके बाद उसने याचिका दायर कर सम्मानजनक जिंदगी जीने, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव मिटाने के लिए याचिका दायर की।
शायरा ने याचिका में कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत आने वाले तलाक-ए-बिदात यानि ट्रिपल तलाक के जरिए रिश्ता तोड़ना, निकाह हलाला और बहुुविवाह प्रथा गैरकानूनी है और साथ ही भारतीय संविधान के खिलाफ भी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने पहले ही इस बात पर ध्यान दिया है कि मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने की जरुरत है।
साथ ही कानून को भी बदलने की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि यह केवल नीति का मसला नहबीं है बल्कि मूल अधिकारों के हनन का भी मामला है।